हजारीबाग : विगत कई वर्षों से विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग घोर अनियमितता के दौर से गुजर रहा है। वर्तमान प्रभारी कुलपति के द्वारा कुछ अनियमितताओं पर अंकुश तो लगाया गया है किन्तु अभी भी कुछ ऐसे मामले हैं जो विश्वविद्यालय प्रशासन की खराब सेहत की ओर इशारा करते हैं।
नियमानुसार एक व्यक्ति एकेडमिक और प्रशासनिक दोनों पदों पर एक ही साथ नहीं रह सकता जबकि विनोबा भावे विश्वविद्यालय में कुलानुशासक एवं कुलसचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन डीन जैसे एकेडमिक पद भी संभाल रहे हैं।इतना ही नहीं मानविकी संकाय के डीन सह कुलानुशासक दो वर्षों का रोटेशन पूरा कर लेने के बावजूद डीन के लिए दोबारा अधिकृत किए गए हैं जबकि हेड और डीन दोनों पद यू जी सी के नियमानुसार रोटेशनल पद हैं।
ऐसे में कई योग्य एवं वरिष्ठ शिक्षकों के अधिकार और अवसर की लगातार हत्या सरेआम की जा रही है।यह एक उच्च शिक्षण संस्थान की पवित्रता पर सवालिया निशान खड़ा करता है। पता चला है कि तत्संबंधी आवेदन माननीय कुलपति को बीते नवंबर एवं दिसंबर महीने में संबंधित शिक्षकों द्वारा समर्पित किया गया है किंतु अभी तक उस विंदु पर निर्णय नहीं लिया जाना विश्वविद्यालय प्रशासन की नीयत पर प्रश्नचिह्न लगाता है। इसी प्रकार के छात्र हित से जुड़े मामले से संबंधित पत्र विनोबा भावे विश्वविद्यालय के झारखंड मुक्ति मोर्चा के सचिव अख़्तर हाशमी ने कुलपति और राजभवन को लिखा है। ऐसी चर्चा है कि प्रभारी कुलपति राजभवन के दबाव में मौन धारण किए हुए हैं।
इस मामले को ले कर पत्र में अख्तर हाशमी ने कहा है कि मामले में अगर संज्ञान नहीं लिया गया तो जल्द ही विश्वविद्यालय में उग्र आंदोलन किया जाएगा।
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