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Chatra News : अंतिम वितिय वर्ष मे होने लगता है अवैध कोयला बालू पर बड़ी खेल नाकाम

बनारस की मंडी और लोकल इट्ट भाठों में सौदागरों का रहता है निगाह

टंडवा: चतरा जिले के टंडवा प्रखंड में देश और अंतर्राज्य को कोयला की आपूर्ति तो हो रही है, प्रति दिन मगध और आम्रपाली कॉल परियोजना से औसत 50 हजार टन कोयले रेलवे एव ट्रकों से भेजा जाता रहा है, उधर कॉल इंडिया की निर्देशन मे खान प्रबंधकों को सीसीएल सीएमडी और अन्य टेकनिकल अधिकारिओ का परियोजनाओ का परीक्षण करते तथा कई निर्देशन देकर चले जाने भर होता है, पर बड़ी बात है की परियोजनाओ के अधिकारी अवैध कोयले की कारोबार पर अंकुश लगाने में

रहे है बताया जाता है की प्रति वर्ष करोड़ों का कोयला विभिन्न कोयला स्टॉक से उठाकर अधिकारियों की मौन समर्थन पर बिहार और उतर प्रदेश की काली कोयला व्यापायरिओ तक बेच दिया जाता है, इस खेल मे अप्रत्यक्ष रूप से धनार्जन कर राज्य और सरकार की संपतियों को नुकसान पहुंचाया जा रह है, सीसीएल की कॉल परियोजनाओ मे मगध परियोजना अधिक दागदार हुए, सूत्र बताते है की इस परियोजना मे सुरक्षा के कड़ी प्रबंध नहीं है। कॉल वाहनों की प्रवेश करने के रास्ते एक है पर कोयला ले जाकर बाहर जाने की कई द्वार है, इस कारण से कोयला के अवैध खेप ले जाने वाले सौदागरों को मौका मिल जाता है। कही न कही खान के संचालन के केंद्र और राज्य सरकारों के मान दंडों को उल्लंघन किया जा रहा है, टंडवा प्रमुख रीना कुमारी का कहना है की कोयले की स्टॉक जलते छोड़ देना कई प्रशनों का जन्म देते आ रहे है, यदि आप सब कुछ मैनेज करके खदान चला रहे है तो फिर पीम मोदी के ऑउटसोर्सिंग से काम लेने की नियम कानून के हिसाब से गलत है, उन्होंने बताया की मगध मे पूर्व परियोजना सुरक्षा पदाधिकारी धर्मनाथ सिंह के कार्यकाल मे उनके सहयोग से कोयला की अवैध खेल के कारनामे से करोड़ों की संपाती अर्जन कर आस पास मे स्थानातरण कर लेती है,कहीं न कही झारखंड की संपदा पर झारखंड से बाहर की पदाधिकारी गिद्ध चाल है, झरखांड़वाशिओ की संपदा पर पैनी नजर है परियोजनाओ के विस्थापितों पर कोई मोह कोई सवेदन नहीं है। 


बताया जाता है की जितना कोयले को स्टॉक मे जलते छोड़ जाता है उतना कोयला की अवैध रूप से कारोबार बड़ा किया जाता है। चूंकि एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार सरकार को यह बताया जाता है की इतना कोयला जल चुका ह, अब उस जले कोयले स्टॉक को अच्छे कोयले मिलाकर ट्रकों से रोड सेल किया जाता है, और स्टीम कोयला को उठाकर बनारस की मंडीओ मे सौदागरों द्वारा भेजवा दिया जाता है, यदि एसी दुर्दशा चलता रहा है परियोजनाओ का उम्र से पहले ही समाप्त हो जाएगी, उपरोक्त विषयों पर जांच पड़ताल की जाए तो कई सफेद पोष और अवैध कोयले के कारोबार मे संलिप्त सुरक्षा पदाधिकारीओ का कलय खुल सकता है।

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