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टंडवा पिपरवार खलारी रांची सड़क में गिरते जहरीले फ़्लाई एश ग्रामीणों को कर रहा है बीमार: राहम मुखिया

टंडवा एनटीपीसी से जहरीला लाख ढुलाई में खूब ऐश कर रहे हैं दलाल, अधिकारी और ठेकेदार: मुखिया

पब्लिक सड़क में रात के अंधेरे में ओवरलोड़ वाहनों से गिरते जहरीले फ़्लाई एश ढुलाई कंपनियों पर उठी मनीलांड्रिंग जांच की मांग...!

चतरा: टंडवा एनटीपीसी बिजली प्लांट से निकलने वाले जहरीला राख ढुलाई में अब टंडवा और पिपरवार खलारी सड़कों पूरी तरह से चपेट में आ गया। सड़क में गिरे फ़्लाई एश से लोगों में बीमारिया का जन्म देने लगा है। इस ढुलाई में टंडवा कार्पोरेटों के चंगुल में फंसकर अब पूरी तरह से सुर्खियों बटोर रही हैं। जिसका विरोध राहम पंचायत के मुखिया विश्वजीत उराँव के साथ साथ ग्रामीणों कर कहा कि सड़क दुर्घटनाओं के साथ जहरीले फ़्लाई एश की ढुलाई से उत्पन्न प्रदूषण सड़क किनारे रहने वाले ग्रामीणों को बीमार और लाचार किया जा रहा है। जबकि इस कारोबार में शामिल दलाल अधिकारी और ठेकेदार खूब मज़े में मालामाल हो रहे हैं। टंडवा- पिपरवार सड़़क से राख ढुलाई कर रहे सौरभ सागर, नवकार, आरटीपीएल समेत दूसरी अन्य कंपनियां व अधिकारियों को  ग्रामीणों के चित्कार से मानों घंटा कोई फर्क नहीं पड़ता। निर्धारित मानकों को ताक पर रखकर ओवरलोड़ ढुलाई से अवैध धनोपार्जन चुनिंदे अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, उग्रवादियों तथा असमाजिक तत्वों तक को दी जाती है जिससे ग्रामीणों का जोर व शोर दबाव में हीं दब जाता है। स्मरण हो कि पिछले हीं दिनों सैंकड़ों शोषित आदिवासी परिवार जिला मुख्यालय का घेराव कर 11 सूत्री मांगों का अल्टीमेटम दे चुके हैं वावजूद विभागीय पहल अबतक कुछ भी नहीं हुआ। ऐसे में कयास लगाया जाता है कि ग्रामीणों के अंदर हीं अंदर सुलग रहे विरोध की चिंगारी विकराल रूप कभी भी यहां धारण कर सकता है।

आगे श्री मुखिया ने कहा कि हालांकि,भनक लगते हीं चंद रुपयों में चाटुकारी करने वाले लोग ग्रामीणों को प्रलोभन और गुमराह करने के जुगत में जुटे हैं। जिसके मैनेजिंग के नाम पर लाखों रुपए उक्त कंपनियों के  ठेकेदार कुछ दलालों को देकर सुलग रहे जिसको लेकर जनांदोलन को दबाने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगाये हुवे हैं। दावा तो ये भी किया जाता है कि मैनेजिंग के नाम पर ठेकेदार से दलाल प्रतिमाह लाखों रुपए काफ़ी दिनों से डकार रहे हैं। बहरहाल, आंदोलन के बाद निर्धारित अल्टीमेटम की समय सीमा काफी दिन बीत चुके हैं। ऐसे में दलालों का मंसूबा कितना सफल हो रहा ये लोगों के सामने है।

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