हजारीबाग (कटकमसांडी): पेलावल थाना क्षेत्र के हेदलाग गांव में एक दिलचस्प और समाज के लिए प्रेरणादायक घटना घटित हुई। प्रखंड प्रशासन की तत्परता और सजगता से एक मासूम बच्ची को बाल विवाह का शिकार होने से बचाया गया। कटकमसांडी के सीओ सह प्रभारी बीडीओ अनिल कुमार गुप्ता ने इस मिशन की अगुवाई की और सफलता प्राप्त की।
घटना का विवरण
हजारीबाग जिले के हेदलाग गांव में सुरेंद्र साव की बेटी प्रिया कुमारी की शादी 12 दिसंबर को तय की गई थी। 11 दिसंबर को लड़के वालों की ओर से लग्न बंदी करने के लिए गांव आने की योजना थी। इसके लिए लड़की पक्ष की ओर से विशेष तैयारियाँ की गई थीं। प्रिया कुमारी शहीद भगत सैनिक स्कूल की छात्रा थी, और उसकी जन्म तिथि स्कूल के रजिस्टर में 5 जनवरी 2010 दर्ज थी।
प्रखंड प्रशासन की कार्रवाई
इस बाल विवाह की सूचना मिलते ही कटकमसांडी सीओ सह प्रभारी बीडीओ अनिल कुमार गुप्ता ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक टीम का गठन किया। इस टीम में पेलवाल ओपी प्रभारी वेद प्रकाश पांडेय, प्रभारी अंचल निरीक्षक राजकुमार सिंह, और राजस्व उप निरीक्षक सुरेंद्र कुमार शामिल थे। इस टीम को तत्काल हेदलाग गांव भेजा गया, जहां बाल विवाह की तैयारियाँ चल रही थीं।
टीम की सफलता
टीम ने मौके पर पहुंचकर विवाह समारोह को रोका और लड़की को अपने कब्जे में ले लिया। प्रखंड प्रशासन के समक्ष स्कूल के प्राचार्य ने स्कूल के लेटर पेड पर लिखकर प्रिया की जन्म तिथि की पुष्टि की, जिससे यह साबित हुआ कि प्रिया अभी नाबालिग है। सुरेंद्र साव ने अपने बड़े बेटे की शादी 11 दिसंबर को और प्रिया की शादी 12 दिसंबर को करने की सभी तैयारियाँ पूरी कर ली थीं।
जन सेवा परिषद का योगदान
इस मिशन में जन सेवा परिषद संस्था हजारीबाग की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने बीडीओ के नाम एक आवेदन देकर बाल विवाह रोकने का आग्रह किया, जिसके बाद प्रखंड प्रशासन हरकत में आया और यह साहसिक कदम उठाया।
माता-पिता को हिदायत
लड़की के माता-पिता को शपथ पत्र लिखवाकर और हिदायत देकर छोड़ दिया गया कि वह प्रिया की शादी उसके बालिग हो जाने के बाद ही करेंगे। सीओ सह प्रभारी बीडीओ अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि प्रिया कुमारी का जबरन बाल विवाह कराया जा रहा था, जिसे रोकना आवश्यक था।
सामाजिक संदेश
यह घटना समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे प्रशासन और सामाजिक संगठनों की सतर्कता से बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोका जा सकता है। इस तरह की त्वरित और सख्त कार्रवाइयों से ही समाज में बाल विवाह के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सकती है और इस कुप्रथा को समाप्त किया जा सकता है।
कटकमसांडी के इस घटना ने यह साबित कर दिया कि प्रशासन की तत्परता और सही दिशा में किए गए प्रयासों से न सिर्फ कानून का पालन होता है बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी लाया जा सकता है। प्रिया की इस बचाव की कहानी अन्य बच्चियों और उनके परिवारों के लिए एक मिसाल बन सकती है, जिससे वे भी बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठा सकें और अपने अधिकारों के लिए लड़ सकें।
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