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नेशनल लोक अदालत में 50 हजार मामलों का निपटारा, 47 करोड़ से अधिक राशि पर बनी सहमति

 


झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा आयोजित नेशनल लोक अदालत में 54 हजार मामलों को सुलह के लिए रखा गया, प्रधान जिला जज रंजीत कुमार ने किया उद्घाटन।

हजारीबाग : सिविल कोर्ट में शनिवार को मामलों के त्वरित निष्पादन व पक्षकारों की सुविधा के लिए एक नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया था। झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देशानुसार आयोजित इस नेशनल लोक अदालत में सुलह के आधार पर कुल 50 हजार 100 मामलों का निष्पादन किया गया। जिसमें कुल 47 करोड़ 64 लाख 35 हजार 493 रुपए की राशि पर सहमति बनी। इस नेशनल लोक अदालत में कुल 54 हजार 168 मामलों को सुलह समझौता के लिए रखा गया था। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के बैनर तले आयोजित इस नेशनल लोक अदालत की अगुवाई प्रधान जिला जज रंजीत कुमार कर रहे थे। इस मौके पर कुटुंब न्यायाधीश मार्तण्ड प्रताप मिश्रा, श्रम न्यायाधीश दिनेश राय, हजारीबाग बार संघ अध्यक्ष राजकुमार, सचिव सुमन कुमार सिंह, सभी न्यायिक पदाधिकारी, वकील, संबंधित विभाग के पदाधिकारी और पक्षकार मौजूद थे।


इस मौके पर प्रधान जिला जज रंजीत कुमार ने कहा कि मामलों के निष्पादन में लोक अदालत सबसे सुलभ माध्यम है। और मामलों के लोक अदालत में निष्पादन के बाद कोई पक्षकार अपील में नहीं जा सकता है, इसलिए यह सबसे सटीक माध्यम है, इसे ज्यादा से ज्यादा अपनाने का प्रयास करें। कुटुंब न्यायाधीश ने भी लोक अदालत को सही प्रक्रिया बताते हुए इसे अपनाने की बात कही। बार संघ अध्यक्ष राजकुमार ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन काल में कोई मुकदमा अपने बच्चों के लिए छोड़कर नहीं जाना चाहिए। और लोक अदालत मामलों के निष्पादन के लिए सबसे सरल माध्यम है। मंच का संचालन न्यायिक पदाधिकारी जूही कुमारी ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव गौरव खुराना ने दिया। लोक अदालत प्रारंभ होने के बाद प्रधान जिला जज स्वयं सभी बेंच में जाकर पक्षकारों से मिले और उन्हें मुकदमों में सरलता दिखाते हुए मामलों के निष्पादन करने की सलाह दी। 

कार्यक्रम का शुभारंभ झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा आनलाइन किया गया। बाद में प्रधान जिला जज रंजीत कुमार ने कुटुंब न्यायाधीश मार्तण्ड प्रताप मिश्रा, हजारीबाग बार संघ अध्यक्ष राजकुमार, सभी न्यायिक पदाधिकारियों, प्रशासनिक पदाधिकारियों और बार संघ सदस्यों की उपस्थिति में लोक अदालत की विधिवत घोषणा की। इस दौरान बैंक रिकवरी के 353 मामले, सुलहनीय आपराधिक 375 मामले, बिजली के 372 मामले, भू-अर्जन के 800 मामले, श्रम विवाद से संबंधित 6 मामले, मोटर वाहन दुर्घटना दावा से संबंधित 16 मामले, वैवाहिक विवाद से संबंधित 23 मामले, सिविल प्रकृति के 63 मामले, पानी बिल व अन्य टैक्स से संबंधित 217 मामले, चेक बाउंस के 105 मामले, वित से संबंधित 1392 मामले और अन्य 46 हजार 378 मामलों का निपटारा पक्षकारों की आपसी सहमति से किया गया। 

यह जानकारी जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव गौरव खुराना ने दी। उन्होंने बताया कि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रंजीत कुमार के दिशा निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार लगातार लोगों की सुविधाओं के लिए काम कर रहा है। और इस तरह के कार्यक्रम हमेशा लगाए जाते रहेंगे। उन्होंने इस लोक अदालत में शामिल सभी न्यायिक पदाधिकारियों, अधिवक्ताओं, कोर्ट कर्मचारियों और पक्षकारों को प्रति अपना आभार जताया है।

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