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हजारीबाग के बरकट्ठा में सूर्यकुंड मेले की नीलामी में 23 लाख 37 हजार की लगी बोली


हजारीबाग (बरकट्ठा): मकर संक्रांति के अवसर पर हर साल आयोजित होने वाला ऐतिहासिक सूर्यकुंड मेला इस बार भी धूमधाम से मनाया जाएगा। झारखंड के श्रावणी मेले के बाद दूसरा सबसे बड़ा यह मेला 14 जनवरी से 30 जनवरी तक चलेगा। मेले की नीलामी प्रक्रिया अंचल कार्यालय के सभागार में बुधवार को संपन्न हुई, जहां कई प्रमुख बोलीदाताओं ने भाग लिया।

नीलामी प्रक्रिया का विवरण

नीलामी का आयोजन सीओ श्रवण कुमार झा के नेतृत्व में हुआ। इसमें प्रमुख बोलीदाताओं में शिशिर कुमार पांडेय, विकास पांडेय, संजय कुमार पांडेय, श्याम पांडेय, विजय कुमार नायक, चंद्रकांत पांडेय, और सुरेश कुमार पांडेय शामिल थे। नीलामी की शुरुआती बोली 23 लाख 14 हजार 225 रुपये से शुरू हुई। कुल छह राउंड की बोली प्रक्रिया के बाद, अंतिम और उच्चतम बोली 23 लाख 37 हजार 225 रुपये की रही, जिसे संजय कुमार पांडेय ने लगाया।

मेले का महत्व

सूर्यकुंड मेला बरकट्ठा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन है, जिसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यह मेला मकर संक्रांति के पर्व पर आयोजित होता है और इस दौरान विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। मेले में लगने वाले विभिन्न स्टॉल और झूले बच्चों और बड़ों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं।


मेले की तैयारी

इस बार मेले के ठेकेदार संजय कुमार पांडेय होंगे, जिन्होंने उच्चतम बोली लगाकर मेले का ठेका जीता। मेले की तैयारी जोरों पर है, और ठेकेदार द्वारा सभी आवश्यक इंतजाम किए जा रहे हैं ताकि आने वाले श्रद्धालुओं और दर्शकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए जा रहे हैं ताकि मेले का आयोजन बिना किसी बाधा के सफलतापूर्वक संपन्न हो सके।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

मेले के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय और बाहरी कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। इसके साथ ही, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और पूजाएँ भी आयोजित की जाएंगी, जो मेले की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाएंगे।

स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

सूर्यकुंड मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा योगदानकर्ता है। मेले के दौरान लगने वाले स्टॉल और दुकानों से स्थानीय व्यापारियों को अच्छा व्यवसाय मिलता है। इसके अलावा, मेले में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों से भी स्थानीय होटलों और रेस्टोरेंट्स की आमदनी में वृद्धि होती है।

समापन

इस प्रकार, सूर्यकुंड मेले की नीलामी प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न हो गई है, और सभी लोग उत्सुकता से इस ऐतिहासिक मेले का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद है कि इस बार का मेला भी हर बार की तरह हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाएगा और यह अपने ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखेगा।

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