• औद्योगिक नगरी टंडवा मुख्य बाज़ार व कोल ट्रांसपोर्टिंग, ऑफिस सहित अन्य दिखे बंद
चतरा:- चतरा जिला के कई प्रखंडों में एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण के विरोध में भारत बंद का असर औद्योगिक नगरी टंडवा में भी व्यापक देखा गया।सुबह से बसे खड़ी के साथ एवं कोल माइंस,कोल् ट्रांसपोर्टिंग,पीओ ऑफिस,नॉर्थ करनपुरा एनटीपीसी टंडवा,मुख्य मार्केट के दुकाने बन्द रही। हालांकि इस बंद को भीम सेना के साथ एससी,एसटी के वर्गों के संगठनों द्वारा बन्द किया गया। लेकिन चतरा शहरी क्षेत्र में भी बंदी के साथ मोर्चा संभालते दिखे। सुबह से हीं एससी-एसटी के वर्गों द्वारा जगह-जगह जमे रहे और भ्रमण करते दिखे। लेकिन बंद करने वाले लोग सीधे-सीधे नारे के साथ कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर के लिखे संविधान के साथ छेड़छाड़ करना कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले में केंद्र सरकार पर निशाना के साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी विरोध करते दिखे। जिससे कुल मिलाकर बंदी का असर औद्योगिक क्षेत्रों में व्यापक रहा। बंदी के असर से आम्रपाली कोल परियोजना से होने वाली कोल् ट्रांसपोर्टिंग,शिवपुरी साइडिंग तथा आम्रपाली पीओ ऑफिस सहित अन्य कार्यालय को भी बंद किया गया था। वही टंडवा में 1980 मेगावाट बिजली उत्पादन करने वाली नॉर्थ करणपुरा एनटीपीसी को बाहर से पूर्ण रूप से बंद देखा गया। और टंडवा में छोटी-बड़ी दुकाने भी बंद दिखे। वही आपातकालीन सेवाएं चालू थी।
दरअसल बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने 01अगस्त को अपने एक फैसले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति यानी एससी-एसटी में उपवर्ग बनाने का अधिकार राज्यों को दे दिया है। साथ ही एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने के लिए भी कहा है।
टंडवा के एससी एसटी के नेताओं द्वारा महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार को आवेदन के माध्यम से अवगत कराते हुए त्राहिमाम पत्र लिखा है।
01 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसटी / एससी आरक्षण विरोधी निर्णय को निरस्त करवाने हेतु ज्ञापन पत्र टंडवा बीडीओ को सौंपा गया।
आवेदन में लिखा गया है कि 01 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बैंच द्वारा एससी/एसटी वर्ग के खिलाफ आरक्षण में वर्गीकरण एवं क्रिमी लेयर का फैसला सुनाया था, जो कि संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16 (4) का उल्लंघन है। क्योंकि यह निर्णय एससी/एसटी समुदाय को षड्यंत्र के तहत कमजोर करने का गैर संवैधानिक निर्णय है। यह आरक्षण बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी द्वारा जातीय भेदभाव को देखते हुए समानला लाने व गैर बराबरी को समाप्त करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 (4) और 16(4) में सुनिश्चित किया था, जो देश की 18 साल की आजादी के बाद भी छुआछूत जैसी समस्या बड़े पैमाने पर समाज में आज भी फैली हुई है। तथा नौकरियों में भी अभी तक इनको उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। उस पर भी सरकार धीरे-धीरे निजीकरण करके नौकरियों को समाप्त करने का काम कर रही है। आरक्षण के बाद भी कुछ प्रतिशत ही इनकी स्थिति में बदलाव आया है। आरक्षण में वर्गीकरण का फैसला, एवं क्रीमी लेयर की सोच आरक्षण को खत्म करने की प्रक्रिया के समान है। एसटी/एससी प्रखंड इकाई टंडवा के नेताओं द्वारा विरोध किया गया। और आपसे अनुरोध करती है कि सरकार को निर्देश देकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को निरस्त करवाने व आरक्षण को 9वीं सूची में डालने की दिशा निर्देश सरकार को देने की माँग सौंपा है।
औद्योगिक नगरी क्षेत्र में बन्दी की उलगुलान व समर्थन समाजसेवी सुभाष दास,रामोतार राम, देवकी रजक,पवन पासवान, विजय पासवान, थानेश्वर गंझू, सचिन पासवान,संतोष नायक दर्जनों एससी एसटी के कार्यकर्ता का नाम शामिल है।
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