हजारीबाग: चौपारण प्रखंड अंतर्गत चयकला स्थित सुफी संत हज़रत दुल्हा फतह उद्दीन गाजी शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैहि के दरगाह प्रांगण में 10वीं मुहर्रम यौमे आशूरा के दिन शहीदाने कर्बला के याद में हर साल की तरह इस बार भी महफिल का आयोजन किया गया। जिसकी सदारत (अध्यक्षता) मौलाना शकील अहमद अशरफी साहब ने किया। महफिल में कर्बला के शहीदों का जिक्र किया गया।
इस दौरान तकरीर करते हुए मौलाना साहब ने कहा कि मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना होता है, इस्लामिक साल की जो शुरुआत होती है, यह मुहर्रम से होती है। यह महीना मुस्लिम समाज के लिए बहुत यादगार महीना होता है। इस्लाम की इतिहास में इस महीने की बहुत बड़ी अहमियत है। यह महीना हजरत इमाम हुसैन की शहादत से मशहूर है इसीलिए इस महीने को शहादते हुसैन का महीना भी कहते हैं।
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सब्र, इंसानियत, वफा, अदल, हक, तकवा, परहेज़गारी और अमन की खुशबू का नाम हुसैनियत है। आज से लगभग चौदह सौ साल पहले सन 680 ईस्वी को कर्बला की धरती पर हक और बातिल की जंग गई जिसमें एक हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथी और दूसरी तरफ यजीद और उसकी हजारों की फौज। जिसमें हक की जीत हुई और बातिल की हार। हजरत इमाम हुसैन शहीद होकर भी जंग जीत गए और यजीद जीत कर भी हार गया। इमाम हुसैन ने अपने दीन की खातिर पूरा का पूरा घर कुर्बान कर दिया। बुराई, नइंसाफी, धार्मिक, सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने, इंसानियत को बढ़ावा देने अपने वतन की जमी और अपने लोगो को हर तरह की बुराई से आज़ाद कराने का सबक भी कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन की शहादत दे गई। महफिले यादें हुसैन में फातिहा व दुआ के बाद तबर्रुक तकसीम किया गया।
दूसरी तरफ चौपारण प्रखण्ड के कई मुस्लिम गावो के कर्बला में भी ताजिया का जुलूस मातम के साथ मनाया ।इस मोहरम जुलूस में निवेदन समिति के संयोजक सह विधायक उमाशंकर अकेला यादव,जिला परिषद सदस्य भाग 2 के रविशंकर अकेला यादव, मो हलाल अख्तर,शम्मा अख्तर नेजामी,शम्मी अख्तर,विधायक प्रतिनिधि बैजू गहलौत,नवीन यादव,अभिमन्यु प्रसाद भगत,रेवाली पासवान,सोनू दास,बीरबल साहू,भुन्नु अख्तर,अक्सर अंसारी,गुलबहार अंसारी सहित हजारों के तादाद में लोग मौजूद रहे।
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