साधु ने जमाया डेरा,पैसे लेकर युवाओं को बेचता है गांजा,युवा पीढ़ी का भविष्य अंधकार में
विष्णुगढ़। विष्णुगढ़ प्रखंड के जमुनिया डैम निकासी द्वार के समीप एक झोपड़ी में इन दिनों नशेड़ियों का खूब जमावड़ा लगा रहता है। झोपड़ी के भीतर बैठ कर कम उम्र के युवा सुबह से लेकर शाम तक भरपूर गांजे का सेवन करते रहते हैं। बताया जाता है कि बालकृष्ण नाथ नामक साधु जो राजस्थान से गुजरात होते हुए रजरप्पा से विष्णुगढ़ आकर जमुनिया डैम निकासी द्वार समीप पिछले दस महीनों से झोपड़ी बनाकर अपना डेरा जमाए हुए है तथा नशे का सौदागर बना हुआ है। जमुनिया नदी की प्रवाहित की शुरुआत यहीं से होती है जो आगे जाकर विशाल रूप धारण कर बराकर नदी में मिलकर बंगाल की खाड़ी में समा जाती है। यहां जमुनिया नदी के तट पर आस-पास की काफी संख्या में महिलाएं प्रतिदिन स्नान के लिए आती है।गंजेड़ियों का अड्डा रहने से महिलाएं काफी डरी और सहमी रहती हैं जो इन गंजेड़ियों के द्वारा कभी भी बड़ी घटना घट सकती है।वही साधु से पूछे जाने पर बताया कि यहां हम एक भव्य मंदिर बनाने वाले हैं, परंतु जब पूछा गया कि किस देवी-देवता का मंदिर यहां बनेगा और कब तो यह बताने से इनकार कर दिया। सोचने वाली बात है कि बालकृष्ण नाथ नामक साधु के पास भारी मात्रा में गांजा आखिर कहां से आता है, कही साधु की आड़ में गांजा कारोबारी अपना धंधा तो नहीं कर रहे हैं। यह साधु खुद तो गांजे का सेवन करता ही है और साथ ही पैसे लेकर युवाओं को भी बेचता है। एक कहावत तो आपने सुनी होगी आगे नाथ न पीछे पघा, वही कहानी बयां कर रही है। कम उम्र के युवा पीढ़ी का भविष्य अंधकार में ढकेला जा रहा है। पहले से ही प्रखंड में नशे के सौदागर कम नहीं हैं और अब साधु के रूप में एक और गांजा कारोबारी अपने पैर जमा रहा है।
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