नई दिल्ली : Vote Counting Process: देश में लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. 4 जून को मतगणना (वोट काउंटिंग) होनी है. इसको लेकर चुनाव आयोग द्वारा तैयारियां की जा रही हैं. ऐसे में आम आदमी के मन में ये सवाल जरूर उठता होगा कि वोटों की काउंटिंग कैसे होती है. आइए, इस प्रक्रिया को समझते हैं.
काउंटिंग कराना RO की जिम्मेदारी
किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के वोटों की गिनती कराने का जिम्मा रिटर्निंग ऑफिसर (RO) की होती है. उसके निर्देशन में ही काउंटिंग की पूरी प्रक्रिया होती है. आमतौर पर जिले के जिलाधिकारी को ही RO नियुक्त किया जाता है.1. कहां होती है वोटों की गिनती?
वोटों की गिनती कहां होगी, ये RO ही डिसाइड करता है. सामान्य तौर पर निर्वाचन अधिकारी के मुख्यालय पर ही काउंटिंग की जाती है. मतगणना एक बड़े हॉल में होती है. एक ही हॉल में अलग-अलग टेबल लगाई जाती है.
2. प्रत्याशी की मौजूदगी में क्यों निकाले जाते हैं EVM?
काउंटिंग वाले दिन स्ट्रॉन्ग रूम से EVM निकाले जाते हैं. वोटिंग पूरी होने के तुरंत बाद EVM स्ट्रोंग रूम में रख दिए जाते हैं. EVM मशीनों को उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में खोला जाता है, ताकि पारदर्शिता बनी रही.
3. काउंटिंग के दौरान हॉल में कौन रहेगा?
मतगणना के लिए RO काउंटिंग सुपरवाइजर्स (मतगणना कर्मचारी) नियुक्त करता है. ये वोटों की गिनती करते हैं. इस दौरान उम्मीदवार अपने काउंटिंग एजेंट और इलेक्शन एजेंट के साथ हॉल में रह सकते हैं.
4. पहले EVM के वोट गिने जाते हैं या पोस्टल बैलट के?
EVM से पहले पोस्टल बैलट की काउंटिंग की जाती है. पोस्टल बैलेट्स की गिनती एक अलग टेबल पर होती है. यहां पर एक सहायक निर्वाचन अधिकारी होता है. बता दें कि पोस्टल बैलेट्स के जरिये चुनाव में ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों, पोलिंग बूथ पर पहुंच पाने में असमर्थ बुजुर्गों और ऑन ड्यूटी फौजियों के वोट्स आते हैं.
5. कितना बड़ा होता है एक राउंड?
पोस्टल बैलेट्स की गिनती के आधे घंटे बाद EVM के जरिये पड़े वोटों की गिनती शुरू हो जाती है. 14 ईवीएम में डाले गए वोटों की गिनती पूरी होने पर एक राउंड होता है. एक राउंड पूरा होते ही उक्त राउंड का नतीजा घोषित किया जाता है, अपडेट किया जाता है. अंत में रिजल्ट की घोषणा कर दी जाती है. फिर RO ही विजयी प्रत्याशी को सर्टिफिकेट देता है.
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