केडी माइंस की ट्रांसपोर्टिंग कंपनी की अजब खेल की गजब कहानी: प्रशासन भी अँधेरे में
अखिलेश पांडेय
Chatra: (टंडवा) केडी माइंस के ट्रांसपोर्टर चतरा जिला के सड़कों पर सुरक्षा मानकों का ध्यान रखें बिना बेतरतीबी से बेधड़क कोल वाहन दौड़ा रहे हैं। बताया जाता है कि ट्रांस्पोर्टरो द्वारा बहुत खेला करके अवैध एव वैध रूप से अपारदर्शिता के साथ अपने काम अपने काम को अंजाम दिया जाता है। इस हुनर में हर्षित जयसवाल की कंपनी ओड़िसा स्टीवडोर्स लिमिटेड के कर्मचारीयों का तो कोई जवाब ही नहीं है। केडी माइंस से लेकर गंतव्य स्टेशन पहुंचने तक हाइवा वाहन से कितने प्रकार का रिएक्ट हो रहा है। इन सभी को मैनेज करके चलाया जा रहा है। इनके चलने वाले मार्ग में धूल प्रदूषित हवा खाने वाली जनता को मिलता है प्रति घर 500 से 1000 रुपया और बीमारी से मरने वालो को कुछ भी नहीं। हाइवा के चपेट में आने वालो को झारखंड सरकार की हिट एंड रन एक लाख व 20 हजार रुपये परिवारिक लाभ। मात्र यह सबसे बड़ी विडम्बना है। लाग लपेट की कहे तो कोयला ढोने की डिपार्टमेंट ले लेने के बाद ट्रांसपोर्टर की गैर जिम्मेदारी के साथ वाहन चालान को यहाँ कोई देखने वाला नहीं है और न ही किसी की फ़िक्र है। चूकि केरेडारी माइंस का कोयला केरेडारी चट्टी बरियातू जोरदाग पेटो होते टंडवा होते हुए एनटीपीसी बिजली पॉवर प्लांट, राजधर साइडिंग, मिश्रौल, सिमरिया, चतरा होते कटकमसाड़ी साइडिंग कोयला पहुंचाया जा रहा है। इस मार्ग में निवास करने वाली आबादी को धूल दर्द और प्रदूषण का तो सामना करना ही पड़ता है साथ ही आए दिन इस मार्ग में दुर्घटनाओं का शिकार आम जनता होती है। वन पर्यावरण और जलवायु विभाग के अनापत्ति पत्र की बात की जाए तो इसमें कहां तक पारदर्शिता है यह भी एक विचारणीय प्रश्न है। अनापत्ति पत्र की नीति सिद्धान्त को देख लिया जाए तो कन्वेयर वेल्ट से कोयला को साइडिंग तक पहुंचाने की निविदा है। लेकिन कोल परियोजना व आउट सोर्सिंग कंपनी द्वारा लिफाफा के दम पर आवाज उठाने वालें लोगों को पैक करके मुख्य सड़कों पर भारी वाहनों की क्षमता को बढ़ा दिया गया है। ट्रांस्पोर्टर द्वारा ट्रांसपोर्टिंग की आड़ में सड़कों पर ओवर लोड, हाई स्पीड, दुर्घटना, पानी की छिड़काव इत्यादि का ध्यान रखें बिना बगैर गाइड लाइन के कोयला ढुलाई धड़ले से किया जा रहा है। इसमें जिला प्रशासन द्वारा बैठक कर उपरोक्त बिन्दुओं पर आज तक कोई दिशा निर्देश जारी नहीं करना भी ग्रमीण, भू-रैयत, विस्थापित-प्रभावितो के लिए बड़ा प्रश्न खड़ा करता है। सिर्फ तानाशाही के दम पर कोयला ढुलाई किया जा रहा है। इस मामले में सिमरिया विधानसभा के विधायक किशुन कुमार दास द्वारा पूर्व में 09 दिसम्बर 2023 में अपने आवास में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कोल ट्रांसपोर्टिंग नहीं करने के लिए 15 दिनों का एल्टिमेटम दिया गया था। कहा गया था कि 15 दिनों के अंदर कोल ट्रांसपोर्टिंग करना बंद करें अगर बंद नहीं होता है तो सड़कों पर उतर कर के बड़ा आंदोलन कर कोल ट्रांसपोर्टिंग बाधित कर दिया जाएगा। लेकिन विधायक की बात भी धरी के धरी रह गई है। जिसे कोल ट्रांसपोर्टरों ने उसे भी धता बताते हुए बेधड़क कोयले की ट्रांसपोर्टिंग की जा रही है। इस विषय पर भी स्थानीय विधायक मौन हैं और न ही दुबारा इस विषय पर कोई आवाज़ उठी। सूत्रों की माने तो सड़कों पर बिना कोई पाबंदी के सड़कों में वैध-अवैध कोयला ढुलाई किया जा रहा है। दिन के उजाले में वैध और रात के अँधेरे में अवैध कोयला पॉवर प्लांटों व बनारस की मंडियो तक कोयला भेजा जा रहा है। केरेडारी के समीप तथा टंडवा के सीमावर्ती क्षेत्र डामहाबागी में पुलिस प्रशासन की नजर में बेरियर व स्कैनिंग मशीन के माध्यम से अवैध कार्य को रोकने हेतु एक मजबूत सिस्टम लगा दिया जाये तो इस पर से पर्दा उठ सकता है और बड़े बड़े राज खुल सकते हैं। ट्रांस्पोर्टेरों की माने तो निविदा के अलावे कोल व्यवसायी कंपनियों द्वारा मैनेज के नाम पर 20% अधिक की मद पास होती है। यह 20% के लालच में कंपनी के नियुक्त पदाधिकारी द्वारा अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर कोयला ढुलाई कार्य धड़ले से करवाया जा रहा है।
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