टंडवा:संवाददाता,चतरा/ लोकसभा चुनाव बीते अभी चंद दिन हुवे हीं है कि चार से पांच माह बाद विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर टंडवा में व्याप्त अनगिनत समस्याओं के लिए महज जुबानी समाधान को लेकर भाजपा के लोग खूब उछल कूद करने लगे हैं। ये वही लोग हैं जिन्हें आंदोलन व जुबानी बयान से खूब रोटी सेंकना आता है। इसमें कथित तौर पर खूब जनप्रिय- लोकप्रिय नेता भाजपा जो साढ़े चाल साल से केवल जुबानी घोषणाओं के बदौलत लोगों को गुमराह कर केवल अपना व अपने मातहतों के हित साधते रहे हैं। लगता है उन्हें अब अपनी सियासत की कुर्सी खिसकने का अनुमान हो गया है। युक्त बातें कांग्रेस पार्टी पंचायती राज जिला अध्यक्ष प्रेम रंजन पासवान ने कहा। उहोंने आगे कहा टंडवा के सभी मुद्दों का समाधान करने का वे दावा ऐसे कर रहे हैं जैसे साढ़े चार साल से ढूंढ रहे अलाउद्दीन का चिराग उनके हांथ लग गया हो।
चाहे एनटीपीसी से बिजली पानी दिलाने की बात हो ,नो इंट्री या समरूप मुआवजा नीति लागू करना सब अपने सर पर लेकर चुटकियों में अब समाधान कराने को लेकर घूम रहे हैं। पर,जनाब उनके दोधारु चरित्र के कारण हीं उनके जुबान पर कोई भी यकीन हीं नहीं करता। आगे श्री पासवान ने कहा कि केवल अपना जुबान चलाकर कंपनियों से अपना सेटिंग करने में ये बहुत हीं माहिर हैं। आपको याद होगा 1 मई 2023 को असनातरी में एक दंपति की कोल वाहन के चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई थी। पांच दिनों तक चले आंदोलन में 48 लाख मुआवजा दिलाने की घोषणा व सीसीएल से आरपार की जंग लड़ने की बातें लोगों के बीच कही गई। भरोसे में आकर लोगों ने तालियां बजाये और जमकर नारे लगाते रहे। 6 मई को धरनास्थल में एसडीओ ने 9 मई को मुआवजा निर्धारण को लेकर जिला में बैठक कराने का आश्वासन दिया और धरना समाप्त कर दी गई। लोग मौत के समरुप मुआवजे को लेकर तब तो बहुत हीं आश्वस्त थे पर उनकी आशाओं का तुषारापात तब हुआ जब महज चार लाख में के सेटिंग में सौदा तय कर अपना मुहर लगा दिया।
उनके दोधारु तेवर तब भी ठंढा रहा जब दर्जनों निरीह राहगीर कोल वाहन से आसपास हीं कुचलते गये, शव को सड़क पर रखकर निर्धारित मुआवजे की मांग को लेकर परिजन रोते- बिलखते और घंटों गिड़गिड़ाते रहे और वहां ट्रांसपोर्टरों द्वारा मोल भाव होता रहा। इस दरम्यान मौत का मोल किसी को एक लाख तो कहीं दो- तीन लाख हीं मिला पर वर्तमान विधायक ने कभी ना तो जुबान खोली और ना हीं मामले में कभी सुध ली। इस बीच विधायक ने ट्रांसपोर्टिंग बंद कराने के लिए सडक पर उतरने की हिदायत जिला प्रशासन को देकर 15 दिनों का अल्टीमेटम जारी किये जो टांय- टांय फुस्स हो गया। इसके पीछे जनता उनके सेटिंग तरकीब का हीं हिस्सा मानते हैं, जो अपने फायदे के लिए कुछ चमकाने वालों को वे लगातार इस्तेमाल भी करते रहे हैं।
पर, हिम्मत भी लाजबाव है वो तकनीक व तेवर अभी भी कायम है जो पहले था भले जिला प्रशासन को जारी अल्टीमेटम वाला वीडियो से उन्हें लोगों द्वारा ट्रोल किया जाता हो अब जिस एनटीपीसी से बिजली- पानी को लेकर उनके व आलाकमान द्वारा जब जोरदार हुंकार भरी जा रही है तब डेढ़ साल से धरना- प्रदर्शन बैढे रैयतों की सुध कभी नहीं लेने की लोग याद दिला रहे हैं। घर में लगी आग को बैठकर और जी- भरकर तमाशा देखा है। कार्पोरेटों के साजिश में अपने गांव घर के रैयतों व आंदोलनकारियों को जब कुचला जा रहा था तब भी एनटीपीसी प्रबंधन से हांथ मिलाकर अपनी रोटी सेंक रहे थे। सिमरिया विधानसभा की जनता जाग चुकी है आगामी विधानसभा चुनाव में सबक सिखाने को तैयार है।
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