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झारखण्ड के रांची में ACB की बड़ी कार्रवाई! रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ी गई अफसर और क्लर्क, जानिए क्या है मामला



रांची। राजधानी रांची में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने शुक्रवार को डोरंडा के नेपाल हाउस स्थित जल संसाधन विभाग की प्रशाखा पदाधिकारी ममता झरना एक्का व अपर डिविजन क्लर्क विजय कुमार को 15 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया है।एसीबी रांची का यह इस वर्ष अब तक का आठवां ट्रैप केस है। पूरा मामला चिकित्सा प्रतिपूर्ति राशि 6.77 लाख रुपये रिलीज करने के एवज में 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगने का है। पीड़िता मेरी नाग जमशेदपुर के न्यू उलीडीह शिव मंदिर, डिमना रोड, मानगो की रहने वाली हैं।

एसीबी में दी लिखित शिकायत

वह वर्तमान में रांची के धुर्वा में ई ओल्ड वन, सिंचाई कॉलोनी डैम साइड में रहती हैं। उन्होंने एसीबी में लिखित शिकायत की थी कि वह जल संसाधन विभाग में निम्नवर्गीय लिपिक के पद पर पदस्थापित हैं तथा किडनी रोग से ग्रसित हैं। उनके पिता स्व. मसीह प्रकाश नाग भी इसी रोग से ग्रसित थे। वे भी उसी विभाग में कार्यरत थे।

2018 में जल संसाधन विभाग ने दिया था आवेदन

चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए वर्ष 2018 में जल संसाधन विभाग में उन्होंने आवेदन दिया था। काफी प्रयास के बाद चिकित्सा प्रतिपूर्ति की राशि छह लाख 77 हजार रुपये स्वीकृत हुआ।स्वीकृत राशि को रिलीज करने के लिए प्रशाखा पदाधिकारी ममता झरना एक्का ने 50 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की। पीड़िता रिश्वत देकर काम नहीं करवाना चाहती थी, इसलिए उसने एसीबी में कानूनी कार्रवाई के लिए लिखित आवेदन दी।पीड़िता की लिखित शिकायत की एसीबी की डीएसपी नीरा प्रभा टोप्पो ने सत्यापन किया। 

सत्यापन में मामला सही मिलने पर एसीबी रांची में 20 जून को प्राथमिकी दर्ज की गई। इस प्राथमिकी में प्रशाखा पदाधिकारी ममता झरना एक्का प्राथमिकी अभियुक्त बनीं।वह रांची के डोरंडा थाना क्षेत्र में डिबडीह बाईपास स्थित मारिया हाइट्स अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर-503 में अपने पति सामुएल निशांत के साथ रहती हैं। उनके साथ-साथ जल संसाधन विभाग के अपर डिविजन क्लर्क व अप्राथमिकी अभियुक्त विजय कुमार को भी एसीबी ने पकड़ा है।विजय कुमार बोकारो के पेटरवार थाना क्षेत्र स्थित चांपी के रहने वाले हैं। एसीबी ने शुक्रवार को नेपाल हाउस के पास जाल बिछाया और दोनों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा। अब दोनों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच होगी।




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