उग्रवादियों ने लेवी और पुलिस मुखबिरी को लेकर दिया घटना को अंजाम मृतक लुप्त प्राय आदिम बिरहोर जनजाति से
चतराः लोकसभा चुनाव चतरा में समाप्त होने के साथ ही नक्सलियों ने दिया घटना को अंजाम और प्रशासन को चुनौती। प्रतिबंधित टीएसपीसी नक्सलियों ने चतरा में बड़ी घटना को अंजाम दिया है। नक्सलियों के विरुद्ध मोर्चा खोलने वाले जिले के कुंदा थाना क्षेत्र के नक्सल प्रभावित हिंदियाकला गांव में शनिवार को रात नक्सलियों ने धावा बोला और पिता-पुत्र की निर्मम हत्या कर दी है। इस घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत व्याप्त है। विशेष रूप से ग्रामीणों में दहशत का माहौल देखा जा रहा है। उग्रवादियों ने पहले पिता-पुत्र की पिटाई की, फिर गोली मारकर दोनों को मौत के घाट उतारा।
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार की रात करीब तीन दर्जन से अधिक की संख्या में टीएसपीसी नक्सलियों का दस्ता गांव पहुंचा था। नक्सलियों ने गांव में एक घर को घेर लिया और बीफा उरांव और पंकज बिरहोर (दोनों पिता-पुत्र) को अपने कब्जे में लेकर पहले उनकी बेरहमी से पिटाई की और फिर गोली मार कर दोनों को मौत के घाट उतार दिया। दोनों मृतक विलुप्तप्राय आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के थे।
दरअसल, बीते कुछ महीने पूर्व जिले के निवर्तमान डीसी आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों का हाल जानने के लिए कुंदा प्रखंड के हिंदियाकला गांव पहुंचे थे। जहां बिरहोर परिवारों को कच्चे और जर्जर मकानों में रहता देख उन्हें अबुआ आवास योजना के तहत रहने के लिए पक्का मकान मुहैया करवाया था। जिसके निर्माण कार्य का देखरेख मृतक बिफा उरांव का भाई वैद्य बिरहोर कर रहा था।
लेवी देने से इनकार करने और पुलिस मुखबिरी की शक में नक्सलियों ने की दो लोगों की हत्या
इसी दौरान टीएसपीसी नक्सलियों ने उससे प्रत्येक आवास के बदले 10-10 हजार रुपये की लेवी की डिमांड की थी। जिसे देने से वैद्य बिरहोर ने न सिर्फ इंकार किया था, बल्कि ग्रामीणों के सहयोग से मृतक पंकज और उसके पिता ने मंटू गंझू नामक नक्सली को हथियार के साथ पकड़ कर पुलिस के हवाले भी कर दिया था। इसके अलावा नक्सलियों को गांव में लाने में सहयोग करने वाले सुदेश्वर यादव नामक एक अन्य व्यक्ति को भी पुलिस ने पकड़कर जेल भेज दिया था। ग्रामीणों का कहना है कि इसी बात से बौखलाए नक्सलियों ने पिता-पुत्र की निर्मम हत्या कर दी।
घटना के 12 घंटे के बाद भी घटनास्थल नहीं पहुंची पुलिस
इधर, घटना की सूचना के करीब 12 घंटे के बाद भी पुलिस की टीम मौके पर नहीं पहुंची है। हालांकि घटना से करीब 5 किलोमीटर दूर बौरा गांव में एसपी विकास पांडेय और सिमरिया एसडीपीओ अजय कुमार केशरी के अलावे अन्य पुलिस पदाधिकारी स्थिति का जायजा लेते नजर आए। बताया जाता है कि पुलिस के पदाधिकारी सुरक्षा कारणों से घटनास्थल तक नहीं पहुंचे हैं। हालांकि इस पूरे मामले में वरीय पुलिस पदाधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं।
नक्सलियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगाः एसपी
हालांकि एसपी विकास पांडेय ने इतना जरूर कहा है कि पिता-पुत्र की हत्या में शामिल नक्सलियों के धर-पकड़ को लेकर इलाके की घेराबंदी की जा रही है। एसपी ने कहा कि किसी भी हालत में नक्सलियों को बख्शा नहीं जाएगा।
ग्रामीणों ने गांव में पुलिस पिकेट बनाने की मांग की
वहीं घटना के बाद मृतक के परिजनों ने गांव में पुलिस पिकेट बनाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव में पूर्व से ही विभिन्न नक्सली संगठनों का वर्चस्व रहा है। यह गांव कुंदा और प्रतापपुर प्रखंड मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित घोर नक्सल प्रभावित इलाके में है। इस इलाके में नक्सली गतिविधि की सूचना पर जब तक पुलिस पार्टी की टीम मौके-ए-वारदात पहुंचती है, तब तक नक्सली घटना को अंजाम देकर बड़े आराम से निकल जाते हैं। इस कारण ग्रामीण दहशत में जीने को विवश हैं।
पंचायत प्रतिनिधियों के सहयोग से दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया
फिलहाल दोनों मृतकों के शवों को पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों के सहयोग से पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा गया है। बहरहाल, पुलिस मुखबिरी के आरोप में पिता-पुत्र की हत्या की घटना ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया है। परिवार के लोग और ग्रामीण सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन से आस लगाए हुए हैं। अब देखना यह होगा कि पुलिस हिंदियाकला गांव के विलुप्तप्राय आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाती है।
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