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आंगनबाड़ी डिलेवरी केस मामले में हुई ऑनलाइन ठगी, अपराधियों ने झांसा देकर निकाल लिए हजारों रुपये


कतरास: इन दिनों आंगनबाड़ी केंद्रों के द्वारा गर्भवती महिलाओं को दिए जाने वाली सरकारी सहायता राशि में ऑनलाइन साइबर ठगी का मामला लगातार देखने को मिल रहा है. साइबर अपराधी सीधे लाभुक को फोन कर ठगी का शिकार बना रहे हैं. हाल फिलहाल में ऐसी कई घटनाएं सुनने को मिल चुकी है इसी कड़ी में कतरास निवासी बिट्टू कुमार साइबर अपराधियों के झांसी में आ गया और अपराधियों ने उसके खाते से 15 सौ रुपए निकाल लिए. बिट्टू ने बताया कि रविवार को उसके मोबाइल में 9234883919 नम्बर से कॉल आया. बताया गया कि उसकी पत्नी को आंगनबाड़ी केंद्र से समय समय पर सुई व अन्य दवाइयां दी जा रही है. डिलीवरी  का महीना भी बताया गया और कहा कि उसको सरकारी सहायता राशि भी मिलेगा. लाभुक ने बताया कि अपराधी द्वारा कहा गया सब बात बिल्कुल सही था. ऐसा लगा मानो ये साइबर अपराधी नही बल्कि सरकारी अधिकारी है. उसके बाद अपराधी के द्वारा कहा गया कि उसके खाते में 15-15 सौ करके दो बार मे कुल 3000 रुपये आएंगे. खाते में 3 हजार रुपये प्राप्त करने के लिए अपराधी के द्वारा मोबाइल में प्रोसेस बताया जाने लगा. बाद में "पे" का ऑप्शन दिया गया. उस पर क्लिक करते ही उसके खाते से 1498 रुपये तुरंत कट गए. इसके बाद जब उसे ठगी का अहसास हुआ तो वो उस नम्बर पर कई बार कॉल किया लेकिन नम्बर कभी बंद कभी बताया जाने लगा. रिंग भी हुआ तो उठाया नही गया.   हालांकि भुक्तभोगी ने इस संबंध में थाने में शिकायत दर्ज नही कराई है. वहीं इस प्रकार के मामले से संबंधित जानकारी के लिए बाल विकास परियोजना पदाधिकारी बाघमारा विमला देवी को फोन लगाया गया लेकिन उनका फोन नही लगा. 

इस प्रकार की घटनाओं से यह सवाल उठता है कि साइबर अपराधियों तक लाभुकों की जानकारी और उसके व्यक्तिगत डिटेल्स(जैसे- बैंक डिटेल्स, गर्भवती महिला का कितना महीना चल रहा है आदि) कैसे पहुँचते है. क्या यह वैक्सिनेशन टीम या सीडीपीओ कार्यालय से लाभुकों का डिटेल्स साइबर अपराधियों तक पहुंच रहा है या फिर कुछ और कारण है. जो भी लेकिन लोगों को ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए सचेत रहने की आवश्यकता है.

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