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राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर समाज के आईने में अपना चेहरा देखें पत्रकार : बैजू गहलोत



राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर पत्रकारिता करने वाले लोग, संस्थान और घराने समाज, सत्ता और लोकशाही के आईने में अपना चहेरा देख लें। कैसा दिखाई देता हैं जांच लें? पत्रकारिता धर्म निभाना चाहते हैं और पेशे की साख बनाए रखना चाहते हैं तो चेहरा सुधार लें। पत्रकारिता से जुड़े संगठन नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिज्म, भारतीय प्रेस परिषद, जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ झारखण्ड तमाम राष्ट्रीय , राज्य या स्थानीय स्तर के पत्रकार संगठन अपना आत्म विश्लेषण कर लें। ये सब पत्रकारिता और पत्रकारों को क्या दिशा दे दे हैं? आज के दिन विचार कर लें कि पत्रकारिता में जिसकी जो भूमिका है वे समाज, राष्ट्र की नजरों में हेय क्यों बनती जा रही है? पत्रकारिता धर्म कर्तव्य विमुख क्यों हो रहा है ? अगर आप पत्रकारिता के एथिक्स के लिए काम नहीं कर सकते तो पत्रकारिता क्यों करते हैं ? दूसरा काम कीजिए ना। क्यों पत्रकारिता के धर्म के साथ अपनों स्वार्थपूर्ति के लिए खिलवाड़ करते हैं ? पत्रकारिता को बदनाम कर आप राष्ट्रीय लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जेम्स मैकडोवाल ने कहा था कि पत्रकारिता को मैं रणभूमि से बड़ी चीज मानता हूं, बल्कि पेशे में भी कोई ऊंची चीज है। तात्पर्य यह है कि अगर आप पत्रकारिता के लिए पत्रकार नहीं है तो हट जाए इस कर्म से। अन्य उद्देश्यों के लिए पत्रकारिता अपनाने वाले लोग पाप कर्म कर रहे हैं। इसका नुकसान समाज, मानवता और लोकतंत्र को हो रहा है। क्या कोई ऐसा पाप कर्म पत्रकार और पत्रकारिता के नाम पर करते रहना चाहते हैं?

Hazaribagh: भारत में हर साल 16 नवंबर को ‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ मनाया जाता है। यह देश में एक जिम्मेदार और स्वतंत्र प्रेस की उपस्थिति का प्रतीक है। भारत में पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी कहा जाता है, जिसके जरिए समाज में फैली बुराइयों को खत्म करके लोगों के उत्थान का काम किया जाता है। इस दिन पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पत्रकारों को सम्मानित किया जाता है। साथ ही पत्रकारिता से जुड़े कई तरह के कार्यक्रम भी इस दिन आयोजित किए जाते हैं।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस का इतिहास :

दरअसल साल 1956 में प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक समिति बनाने की कल्पना की थी। इसी के फलस्वरूप 10 साल बाद 4 जुलाई 1966 को भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की गई। इस परिषद ने 16 नवंबर 1966 से अपना कार्य शुरू किया था। तभी से हर साल 16 नवंबर को देश में ‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ मनाया जाता है।


भारतीय प्रेस परिषद :

बता दें कि भारतीय प्रेस परिषद एक संवैधानिक निकाय है और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज इसके अध्यक्ष होते हैं। अध्यक्ष के अलावा इसके 28 सदस्य होते हैं, जिनमें से 20 सदस्य प्रेस का प्रतिनिधित्व करते हैं। 5 सदस्यों का चुनाव संसद के दोनों सदनों से किया जाता है। तीन सदस्य सांस्कृतिक, साहित्यिक और क़ानूनी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस का उद्देश्य :

इस दिन को मनाने का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता एवं जिम्मेदारियों की तरफ समाज का ध्यान आकर्षित करना है। लोगों को प्रेस की आजादी के महत्व को समझाना है और उन्हें जागरूक करना है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में प्रेस कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पत्रकारों को भी इस दिन प्रोत्साहित किया जाता है।

भारत में क्या है प्रेस की स्थिति :

वर्तमान में भारत में प्रेस की स्थिति चिंताजनक है। प्रेस की स्वतंत्रता के क्षेत्र में देश लगातार पिछड़ता जा रहा है। 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' (आरएसएफ) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 150वें नंबर पर है। खास बात यह है कि ठीक एक साल पहले जारी की गई रिपोर्ट में भारत 142वें नंबर पर था। ऐसे में इस मामले में भारत लगातार पीछे जा रहा है।चौपारण प्रेस कल्ब,हज़ारीबाग़ के उपाध्यक्ष सह डैली ख़बर 99 वेबसाईट न्यूज के मुख्य संचालक श्री बैजू गहलौत ने बताया कि प्रेस सच्चाई का आईना होता है ,लोग विश्वास के साथ न्यूज़ को देखते है और पड़ते है देश को आज़ाद कराने में भारतीय प्रेस का अवम योगदान था प्रेस कलम के ताकत से  सच्चाई का आईने दिखाते है ।

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