Chandrayaan 3 : इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने अपने महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर दी है. इस लैंडिंग की पहली तस्वीर सामने आ गई हैं. तस्वीरों में आप चंद्रयान की लैंडिंग का नजारा देख सकते हैं।
चांद पर चंद्रयान-3 की लैंडिग के साथ ही भारत चांद पर स्पेसक्राफ्ट पहुंचाने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका,रूस और चीन यह कारनामा कर चुके हैं. हालांकि, भारत का मिशन बाकी देशों के मिशन से थोड़ा अलग है। दरअसल, भारत ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग साउथ पोल पर की है, जबकि चांद पर पहुंचने वाला कोई भी देश चांद के साउथ पोल तक नहीं पहुंच सका है. ऐसे में चंद्रयान-3 की लैंडिग भारत के साथ इन देशों के लिए भी अहम है. यह ही वजह कि दुनिया भर के साइंटिस्ट चंद्रयान-3 पर टकटकी लगाए बैठे हैं.
चांद पर क्या करेगा चंद्रयान-3
लैंडर मॉड्यूल से निकलकर रोवर चांद की सतह पर चलने लगेगा, चांद की सतह पर पहुंचने के बाद ये रोवर एक लूनर डे का वक्त वहां गुजारेगा. बता दें कि एक लूनर डे 14 दिनों का होता है. इस दौरान इसरो के वैज्ञानिक चांद पर पानी खोज करने के साथ-साथ खनिज की जानकारी हासिल करेंगे. इसके अलावा वे भूकंप, गर्मी और चांद की मिट्टी की स्टडी भी करेंगे.
चांद तक कैसे पहुंचा चंद्रयान-3?
इस साल 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस रिस्रच सेंटर से लॉन्च हुआ इसरो का तीसरा चांद मिशन चंद्रयान-3 व्हीकल मार्क-3 के जरिए पृथ्वी के ऑर्बिट में पहुंचा. इसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने बर्न प्रक्रिया के जरिए इसे चांद के ऑर्बिट में शिफ्ट कर दिया.
धरती जैसा ही चांद का साउथ पोल
चांद के साउथ पोल का वातावरण पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव जैसा ही है. धरती की तरह वहां अधिकांश ठंड रहती है और सूरज की रोशनी न मात्र ही साउथ पोल की सतह को छू पाती है. इतना ही नहीं वहां रात में तापमान काफी गिर जाता है. इसी वजह से अब तक कोई ही चांद के इस हिस्से पर अपने स्पेसक्राफ्ट को नहीं भेज सका है.
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