सरहुल को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं. सरहुल का सीधा मतलब पेड़ की पूजा करना है. प्रकृति के काफी करीब रहने के कारण ओरांव जनजाति के लोग इस त्योहार को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं और पेड़ों व अन्य प्राकृतिक चीजों की पूजा करते हैं. एक प्रचलित कथा के अनुसार गांव के लोग बसंत में ग्राम देवता या उस जनजाति के रक्षकों की पूजा करते हैं.
Sarhul in Jharkhand in 2023 : कहा जाता है अगर किसी भी समाज को समझना हो तो उसके पर्व-त्योहारों से बेहतर तरीके से समझा जा सकता है. कोई समाज कितना समृद्ध है यह उसके उत्सव मनाने के तरीके से आसानी से समझ में आता है. जितना वाइब्रेंट समाज होगा उतने ही सुंदर तरीके से उसके पर्व-त्योहार और उत्सवों को भी मनाया जाता है. अब से तीन दिन के लिए झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में सरहुल पर्व मनाया जा रहा है. यह झारखंड सहित आदिवासी बहुल राज्यों का सबसे बड़ा आदिवासी पर्व है. यह पर्व हर वर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के तीसरे दिन मनाया जाता है. आदिवासी इलाकों में नव वर्ष के आगमन के रूप में यह उत्सव मनाया जाता है. इस दौरान साल के वृक्ष की पूजा की जाती है.
रांची के अलग अलग इलाकों से लोगो ने झांकी प्रस्तुत किया
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