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GOOD NEWS: झारखंड में निजी MBBS कॉलेज खोलने पर सरकार देगी 450000000 करोड़ रु. का अनुदान‌



Ranchi: झारखंड गठन के 23 साल बाद भी राज्य में निजी मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए बनाई गई प्रोत्साहन अनुदान नीति उपयोगी साबित नहीं हुई। इस नीति के तहत एक भी निजी मेडिकल कॉलेज नहीं खुला। अब सरकार इस नीति में संशोधन करने जा रही है। इसका प्रस्ताव तैयार हो गया है, जो जल्दी ही कैबिनेट में जाएगा। इस नीति के तहत राज्य में मेडिकल कॉलेज खोलने पर 45 करोड़ रुपए का अनुदान देगी। साथ ही 1.5 करोड़ रुपए में 25 एकड़ जमीन लीज पर उपलब्ध कराएगी।


राज्य में मेडिकल की सिर्फ 630 सीटें हैं। इससे हर साल हजारों छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं। वहीं डॉक्टरों की कमी के कारण बड़ी संख्या में मरीज भी इलाज के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं। इसी को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है।

दरअसल झारखंड के साथ अलग हुए पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में कई निजी मेडिकल कॉलेज खुले हैं। झारखंड में अनुदान नीति की समीक्षा के लिए बनी कमेटी ने जब छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक की अनुदान नीति का अध्ययन किया तो पाया कि यहां की नीति काफी जटिल है। इसके बाद ही संशोधन प्रस्ताव तैयार किया गया है।
3 किस्तों में मिलेगी राशि, पहली किस्त जमीन दिखाते ही जारी

राज्य में मेडिकल कॉलेज खोलने वाले निजी संस्थानों को 100 एमबीबीएस सीटों के लिए 35 करोड़ और 150 सीटों के लिए 45 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। पहले अनुदान की राशि 50 सीट के लिए 20 करोड़, 100 सीट के लिए 25 करोड़ और 150 सीट के लिए 30 करोड़ रुपए निर्धारित थी। यह राशि तीन किस्तों में दी जाएगी। पहली किस्त 15 से 25 करोड़ रुपए होगी, जो आवेदक के जमीन की उपलब्धता दिखाने पर जारी की जाएगी।

वहीं सरकार से जमीन लेने वालों को जमीन का लीज निबंधन होने के बाद पहली किस्त मिलेगी। 10 करोड़ रुपए की दूसरी किस्त एनएमसी द्वारा निर्धारत मापदंडों का 50 प्रतिशत पूरा करने पर दिया जाएगा। वहीं 10 करोड़ रुपए की तीसरी किस्त एनएमसी से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर एमबीबीएस पहले फेज की पढ़ाई शुरू करने और दूसरी किस्त का उपयोगिता प्रमाण पत्र विभाग को सौंपने के बाद जारी की जाएगी।



जमीन के लिए तीन किस्तों में होगी कटौती

वर्तमान नीति के तहत सरकार जमीन देने पर उसकी कुल कीमत अनुदान की राशि से कटौती करती है। अब जिले में जमीन उपलब्ध होने पर सरकार 25 एकड़ जमीन लीज पर देगी। इसके लिए अनुदान से 50-50 लाख की तीन किस्तों में कटौती करेगी। लीज निबंधन के समय आवेदक को 20 लाख रुपए की बैंक गारंटी देनी होगी। एनएमसी से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर फर्स्ट ईयर की पढ़ाई शुरू करने पर यह राशि मुक्त कर दी जाएगी।


7 साल में कॉलेज को बनाना होगा अपना अस्पताल

अनुदानित निजी मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए शुरुआत में 300 बेड के हॉस्पिटल की व्यवस्था में सहयोग के तहत राज्य सरकार जिले के सरकारी अस्पताल को 6-7 वर्ष के लिए अनुदानित मेडिकल कॉलेज से संबद्ध करेगी। सात वर्ष के अंदर मेडिकल कॉलेजों को अपना अस्पताल बनाना होगा। संबद्धता काल में अस्पताल से आय की 20 प्रतिशत राशि सरकार के समान्य जन चिकित्सा कल्याण कोष में देना होगा।


शर्तों का उल्लंघन करने पर होगी वसूली

अनुदान की दूसरी किस्त जारी होने के तीन साल के अंदर एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू न करने पर अनुदान राशि की वसूली की जाएगी। जमीन का लीज रद्द करते हुए लोन और बैंक गारंटी को देखते हुए कॉलेज की आधारभूत संरचना को सरकार कब्जे में ले लेगी। विशेष परिस्थिति में यह अवधि एक-दो साल बढ़ाई जा सकती है।


30% बेड पर इलाज का खर्च एम्स और पीजीआई से दोगुना से ज्यादा नहीं

1. अनुदानित मेडिकल कॉलेजों में 30% बेड वैसे रोगियों के लिए होगा, जिसका इलाज का खर्च एम्स और पीजीआई से दोगुना से ज्यादा नहीं होगा। 2.70% बेड पर इलाज का रेट कॉलेज प्रबंधन तय करेगा। 3.अनुदान नीति के तहत मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए संबंधित जिले के सरकारी अस्पतालों को अगले 5 सालों के लिए निजी संस्थानों को दिया जाएगा। इसका सारा खर्च संस्थानों को उठाना होगा। 4.एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए 50% सीटों का खर्च सरकारी मेडिकल कॉलेज के अनुरूप होगा। 50% का खुद तय करेंगे। 5.प्रबंधन की 50% सीटों का शिक्षण शुल्क भी सरकार की 5 सदस्यीय शुल्क निर्धारण समिति करेगी । 6.नीट से दाखिला होगा। सीट खाली रहने पर कॉलेज प्रबंधन नामांकन कर सकता है।

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