रांची: झारखंड का मौसम इस बार गिरगिट की तरह बदल रहा है। ठंड के मौसम में अचानक गर्मी की अहसास होने लगा है। बीते दिनों में बरसात ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा गई। राज्य के मौसम की जानकारी देते हुए विज्ञान केंद्र के वरीय विज्ञानी अभिषेक आनंद ने बताया कि राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में बंगाल की खाड़ी में अंडमान सागर के आसपास एक लो प्रेशर क्षेत्र का असर देखने को मिल रहा है। इसका असर सोमवार से झारखंड के विभिन्न हिस्सों में देखने को मिल सकता है।उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे में राजधानी समेत आसपास के जिलों का मौसम शुष्क रहा है।
पिछले 24 घंटे में राजधानी का अधिकतम 28 डिग्री और न्यूनतम 11.5 डिग्री सेल्सियस रहा। राज्य में सबसे अधिक तापमान 31 डिग्री सेल्सियस चाईबासा का रहा। वहीं सबसे कम तापमान 7.7 डिग्री सेल्सियस रामगढ़ का रहा। सोमवार को राजधानी का अधिकतम 29 व न्यूनतम 14 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।अभिषेक आनंद ने बताया कि उत्तर और उससे सटे मध्य भागों में पिछले 24 घंटे में न्यूनतम तापमान में 4 से 6 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की जा सकती है। अन्य भागों में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है। पश्चिमी विक्षोभ का असर देखने को मिल रहा है। जिसके कारण ठंडी हवाएं, उत्तर और उत्तरी-पश्चिमी हवाएं झारखंड में प्रवेश कर रही हैं।
इस कारण तापमान में गिरावट दर्ज होने की संभावना है। लो प्रेशर की वजह से पूर्वी हवाएं राज्य के दक्षिणी और मध्य भागों में आ रही है। इससे इन भागों में गिरावट देखने को नहीं मिल रही है। आने वाले दिनों में भी यही स्थिति देखने को मिलेगी।अभिषेक आनंद ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में बना सिस्टम डेवलप हो रहा है। इसके डिप्रेशन में बदलने की संभावना जताई जा रही है। इससे पुरवैया हवा का जोर है। इस कारण पूरे राज्य में न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है।केंद्र प्रमुख के अनुसार, न्यूनतम तापमान में एक फरवरी से गिरावट देखने को मिलेगा। इसमें 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की कमी दर्ज की जाएगी। इसकी शुरुआत राज्य के उत्तरी भागों से होगी। दो और तीन फरवरी से दक्षिणी और शेष भागों में गिरावट देखने को मिलेगी।
केंद्र के मुताबिक जनवरी में पश्चिमी विक्षोभ का असर झारखंड में देखा गया। बारिश नहीं हुई, कुछ बादल देखने को मिले। तापमान में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला। न्यूनतम तापमान सामान्य से काफी अधिक दर्ज किया गया। यह पर्यावरण और मौसम चक्र में लगातार हो रहे बदलाव के कारण हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सार्थक कदम उठाने होंगे ताकि पर्यावरण का संतुलन बना रहे।
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