केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। इसका उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन उपयोग और निर्यात के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाना है। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन धीरे-धीरे औद्योगिक परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों के डीकार्बोनाइजेशन की ओर ले जाएगा।
ग्रीन हाइड्रोजन से पर्यावरण को फायदा
कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि ग्रीन हाइड्रोजन मिशन पीएम नरेन्द्र मोदी की तरफ से निर्धारित देश को वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने में भी मदद करेगा। मिशन के तहत वर्ष 2030 के लिए कुछ बेहद महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखे गये हैं। जैसे घरेलू स्तर पर 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना। इसके लिए आठ लाख करोड़ रुपये के निवेश की दरकार होगी। इसका एक बड़ा फायदा यह होगा कि भारत एक लाख करोड़ रुपये के कम ईंधन का आयात करेगा। साथ ही पर्यावरण को एक बड़ा फायदा यह होगा कि औद्योगिक सेक्टर से 50 लाख टन कम कार्बन उत्सर्जन किया जाएगा।
क्या होता है ग्रीन हाइड्रोजन?
बता दें कि अभी देश के विभिन्न उद्योगों में गैस आधारित हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है। इसमें इलेक्ट्रोलाइसिस की भूमिका अहम होती है। लेकिन इस मिशन से रिनीवेबल सेक्टर से हासिल की हुई बिजली का इस्तेमाल हाइड्रोजन बनाने में किया जाएगा। रिलायंस और अदाणी जैसे दिग्गज उद्योग समूहों ने ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं का ऐलान पहले ही कर दिया है।
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ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और मांग पर जोर
ठाकुर ने बताया कि मिशन भारत में ग्रीन हाइड्रोजन का घरेलू मांग को बनाना, उनका उत्पादन करना और साथ ही इनके निर्यात को बढ़ावा देगा। इसके लिए घरेलू स्तर पर इलेक्ट्रलोइसिस के निर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के निर्माण को अलग अलग प्रोत्साहन दिया जाएगा। मिशन के तहत 17,490 करोड़ रुपये का आवंटन साइट प्रोग्राम के जरिए किया जाएगा जबकि 1466 करोड़ रुपये का इस्तेमाल प्रायोगिक परियोजनाओं के लिए, 400 करोड़ रुपये शोध व विकास के लिए और 388 करोड़ रुपये दूसरे कार्यों के लिए आरक्षित किया गया है। न्यू व रिनीवेबल इनर्जी मंत्रालय इसके लिए अलग से दिशानिर्देश तैयार करेगा।
रिनीवेबल ऊर्जा का विकल्प ग्रीन हाइड्रोजन
बता दें कि ग्रीन हाइड्रोजन को पूरी दुनिया में रिनीवेबल ऊर्जा के सबसे अच्छे विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। हाल ही में अमेरिकी सरकार ने इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोत्साहजन योजना की घोषणा की है। जर्मनी, जापान जैसे देशों की तरफ से इसके लिए नीति लागू की गई है। हालांकि, कई विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत के विशाल बाजार व तकनीक श्रम होने की वजह से भारत दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा बेहतर स्थिति में है।
नीति आयोग ने भी इस बारे में एक विस्तृत रोडमैप बना कर सरकार को भेजा है। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की घोषणा के साथ ही सरकार की तरफ से बताया गया है कि सारे मंत्रालय मिल कर इसे बढ़ावा देंगे। इसके लिए राज्यों व केंद्र के बीच भी बेहतर सामंजस्य स्थापित किया जाएगा।
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