New Delhi: देश के दो बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ और ‘बीएसएफ’ के अफसरों ने लंबी अदालती लड़ाई जीत ली है. ‘एचआरए’ देने की मांग को लेकर सीआरपीएफ और बीएसएफ के 9-9 अधिकारियों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
सहायक कमांडेंट और उसके ऊपर के रैंक के सभी अधिकारियों को अब एचआरए का फायदा मिलेगा. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 16 दिसंबर को अपने फैसले में कहा, जिस तरह से बल में ‘पर्सनल ब्लिो ऑफिसर रैंक’ के नीचे वाले सभी कार्मिकों को एचआरए का फायदा मिलता है, उसी तरह अफसरों को भी वह लाभ दिया जाए.
एचआरए के लिए लगी थीं दो याचिकाएं, संविधान के अनुच्छेद 14 का दिया था हवाला
2019 में बीएसएफ के कैडर अफसरों ने यह केस किया था. उसके बाद 2020 में सीआरपीएफ के अफसरों ने भी दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका लगा दी. अफसरों ने अपनी याचिका में कहा था कि जब बल के इन कार्मिकों को एचआरए मिल रहा है, तो उन्हें क्यों नहीं मिल सकता। दोनों बलों के अधिकारियों ने अपने केस में संविधान के अनुच्छेद-14 का हवाला दिया था।
इसमें लिखा गया है कि आप एक क्लास के अंदर दूसरा वर्ग नहीं बना सकते। ऐसा तब, जब वहां पर परिस्थितियां एक समान हों। ऐसी स्थिति में सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करना होगा। जब उनकी जिम्मेदारियां एक जैसी हैं, तो उनकी सुविधाएं भी एक जैसी होनी चाहिए। समान परिस्थिति वाली जॉब में दो वर्ग नहीं हो सकते। नीचे वाले कार्मिकों को एचआरए मिले और ऊपर वालों को उससे वंचित कर दिया जाए।
उच्च न्यायालय के फैसले के बाद अब अधिकारी भी नॉन अवेलेब्लिटी सर्टिफिकेट के आधार पर एचआरए का फायदा ले सकते हैं। इन्हें भी एक्स, वाई और जेड श्रेणी के शहरों के आधार पर एचआरए देना होगा। केंद्र सरकार में एक्स श्रेणी वाले शहरों में मूल वेतन का तीस फीसदी, वाई श्रेणी के शहरों में बीस फीसदी और जेड श्रेणी के शहरों में दस फीसदी एचआरए मिलता है.
क्या है प्रावधान
बीएसएफ और सीआरपीएफ के अलावा सभी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में सहायक कमांडेंट से नीचे के सभी कार्मिकों को एचआरए मिलता है. वजह, बहुत से कार्मिक इन बलों में दूर दराज के क्षेत्रों में तैनात रहते हैं.
वहां परिवार को साथ रखना संभव नहीं हो पाता. अधिकांश कर्मियों की यह सोच रहती है कि वे अपने बच्चों को किसी अच्छी जगह पर शिक्षा दिलाएं. परिवार की जरूरतें ठीक से पूरी हों, इसके लिए पति-पत्नी, दोनों नौकरी करने लगे हैं. बलों के पास खुद के इतने आवास नहीं हैं कि वे सभी कार्मिकों को आवास सुविधा मुहैया कर सकें.
इसके मद्देनजर, यह नियम बनाया गया कि ‘पर्सनल ब्लिो ऑफिसर रैंक’ के नीचे वाले सभी कार्मिकों को एचआरए की सुविधा प्रदान कर दी जाए. एचआरए के जरिए वे किसी भी शहर में अपने परिवार को रख सकते हैं. बशर्तें, उन्हें बल की ओर से नॉन अवेलेब्लिटी सर्टिफिकेट ‘एनएसी’ जारी किया जाए. इसी सर्टिफिकेट के आधार पर उन्हें HRA की सुविधा मिलती है. वे अपने कैंपस से बाहर कहीं पर भी अपने परिवार को रख सकते हैं.
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