• मॉडल आंगनबाडी केंद्र एक में फाईलेरिया का दवाई सेवन कराया गया
• फाईलेरिया मुक्त दवाई 15 दिसंबर तक चलेगा
कुंदन पासवान
Chatra : टंडवा प्रखंड के पोकला उर्फ कसियाडिह पंचायत के कुमरांगकला गाँव के आंगनबाड़ी केंद्र एक में फाईलेरिया के मुक्त दवाई लोगों के बीच सेविका लक्ष्मी देवी एवं सहिया अनीता देवी द्वारा दवाओं का अपने बीच बच्चों,महिलाओं तथा पुरुषों को दवाई सेवन कराया गया।जिसमें लगभग 65 लोगों को फाईलेरिया दवा को सेवन सेविका तथा सहिया द्वारा कराया गया, जिसमें दवा आईवरमैक्टिन,डेथीआई बामाजिन,एल्बेंडाजोल को सेवन कराया तथा फाईलेरिया का दवा 15 दिसंबर तक घर-घर जा कर दिए जाने की बात सेविका, सहिया द्वारा चलाया जाएगा।
आए बताते चलता हूँ क्यों मनाया जाता है फाईलेरिया दिवस और क्यों सेवन करना चाहिए
विश्व मलेरिया दिवस का मुख्य उद्देश्य मलेरिया से लोगों को जागरूक और उनकी जान की रक्षा करना, यह दिवस मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करने, उसके निवारण और नियंत्रण के लिए मनाया जाता है। प्रत्येक साल विश्व मलेरिया दिवस मनाने का उद्देश्य मलेरिया को नियंत्रित करने के विश्वव्यापी प्रयासों को मान्यता देता है।
पहली बार 'विश्व मलेरिया दिवस' 25 अप्रैल 2008 को मनाया गया था। यूनिसेफ द्वारा इस दिन को मनाने का उद्देश्य मलेरिया जैसे खतरनाक रोग पर जनता का ध्यान केंद्रित करना, जिससे हर साल लाखों लोग मरते हैं इससे बचने के लिए,मलेरिया एक खतरनाक बीमारी है।
मलेरिया कई मरीजों के लिए मौत का पैगाम बनकर सामने आता है। मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लाख लोग जान गवां देते हैं। प्रोटोजुअन,प्लासमोडियम नामक कीटाणु के प्रमुख वाहक मादा एनोफिलीज मच्छर होते हैं।जो एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक कीटाणु फैला देते हैं।
ये हैं लक्षण
मलेरिया के प्रमुख लक्षण यह है कि एक निश्चित अंतराल से रोज एक निश्चित समय पर मरीज को बुखार आता है। सिरदर्द और मितली आने के साथ कंपकंपी के साथ ठंड लगने के दौरे प्रमुख है। मरीज को हाथ-पैरों में दर्द के साथ कमजोरी महसूस होती है।
मलेरिया से बचाने के लिए मच्छरदानी में सोना और घर के आसपास जमा पानी से छुटकारा पाना। इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम कर्मियों या मलेरिया विभाग द्वारा दवाएं छिड़कवाना,गंबूशिया मछली के बच्चे छुड़वाना आदि उपाय भी जरूरी है। यह मछली मलेरिया के कीटाणु मानव शरीर तक पहुंचाने वाले मच्छरों के लार्वा पर पलती है।
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