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CRIME NEWS: चौपारण के जंगलों में हो रही बड़े पैमाने पर अफीम की खेती



● हजारीबाग चतरा जिला के तस्कर बने है खेतिहर,दो सौ एकड़ में लगी है अफीम की खेती

बैजू गहलोत

Hazaribagh: चौपारण प्रखंड के दैहर,चोरदाहा,ताजपुर एवं चौपारण पंचायत के उतरी एवं पश्चिमी क्षेत्र में वन विभाग की भूमि पर बड़े पैमाने पर अफीम की खेती हो रही है.जामने में दैहर एवं चोरदाहा उग्रवादियों के लिए सेफ जॉन माना जाता था. अब अफीम तस्करों के लिए सेफ जॉन हो गया है.चौपारण से मुख्यालय उक्त पंचायत की दूरी 15 -20 किमी है.जहां बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों अफीम की खेती हो रही है.वन विभाग की भूमि पर करीब दो सो एकड़ में पोस्ते की खेत लहलहा रहा है.



पांच साल से हो रही अफीम की खेती 

 दैहर,चोरदाहा पंचायत के जंगलों के राजस्व गांव दुरागढा, मोरनिया,सिकदा,करगा,ढोढिया, पथलगड्डा,मूर्तिया,नावाडीह,बिगहा,अहरी जंगलों में पांच साल से अफीम की खेती हो रही है.जहां प्रशासन या वन विभाग को उक्त गांव तक पहुंचना जोखिम से भरा है. इन गांवो में बाहर जंगल-पत्थर और नदी नालों के समीप अफीम की खेती हो रही है.

पानी की सुविधा रहने पर होती है खेती 

 तस्करों द्वारा पानी की सुविधा जहां होती है.उसके आसपास में ही अफीम की खेती होती है.वैसे जगह पर खेती के लिए लोगो मे आपसी रंजिश बढ़ जाता है.ज्ञात हो कि कभी कभी खेती करने को लेकर गुटबाजी हो जाती है.कई बार आपस मे ही खूनी संघर्ष भी जंगली क्षेत्र में नालों के समीप अफीम की खेती को लेकर हो चुका है.

अक्टूबर माह में लगाया जाता अफीम 

 अफीम की खेती के लिए जमीन की जुताई अक्टूबर माह में होती है.उसके बाद उक्त भूमि पर अफीम का फसल लगाया जाता है.जो दिसंबर जनवरी में अफीम का फसल तैयार हो जाता है.यहां अफीम की खेती करने के लिए हजारीबाग एवं एवं चतरा जिला के नामीग्रामी लोग जुटे है.उक्त लोग स्थानीय लोगों को दैनिक मजदुरी देकर खेती करवाते है.तस्करों द्वारा लगाया गया अफीम का पौधा अंकुरित होकर जमीन पर उग रहा है.अफीम की खेती करने वाले  24 घंटे खेत की निगरानी कर रहे है.अफीम की खेत तक जाने वालों पर विशेष नजर रखा जा रहा है.सुरक्षा को लेकर अफीम की खेतिहर जान जोखिम में रख कर अफीम का सुरक्षा कर रहे है.

कार्रवाई का नही होता है असर

उक्त वनभूमि पर हर साल होता है अफीम की खेती. प्रशासनिक कार्रवाई या वन विभागों की सक्रियता का तस्करों पर कोई असर नही पड़ता है. कई बार इन क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा बड़ी करवाई की गई है.पर तस्करों पर असर हर बार बेअसर रहा.क्षेत्र आज तक अफीम की खेती पर अंकुश नही लग सका.

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