मृतक चरण सिंह उर्फ सुशील राजस्थान के नागौर जिले के मेड़ता कस्बे के रहने वाले थे। उन्होंने 2013 में सीमा नाम की महिला से शादी की। शादी के सात साल तक, सीमा ने जोधपुर में चरण सिंह के साथ उनके घर में रहने के लिए जाने से इनकार कर दिया। उसने उसे अपने करीब भी नहीं आने दिया। इसके बाद चरण सिंह ने अपनी पत्नी पर ससुराल आने का दबाव बनाना शुरू कर दिया, जिसके बाद उसने अपनी बहनों के साथ मिलकर साजिश रची। महिला के पति को उसकी एक बहन के घर बुलाया, जहां उसने उसे नशीला पदार्थ पिलाया और फिर बिजली के कटर से उसके हाथ-पैर काटकर पॉलीथिन बैग में पैक कर नाले में फेंक दिया।
पूछताछ में पता चला कि लंबे समय से सीमा के कई लड़कियों से संबंध थे। जब पति चरण सिंह ने घर आने की जिद की तो सीमा ने इस तरह की हरकत की। चरण सिंह अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाना चाहता था, लेकिन सीमा ने मना कर दिया। इस बात पर दोनों के बीच काफी हाथापाई भी हुई। 10 अगस्त को सीमा ने बनाड़ थाना क्षेत्र में अपनी बहन के किराए के मकान में चरण सिंह को बुलाया। यहां सीमा की बहनों ने उसे नशीला जूस पिलाया और इंजेक्शन भी लगाए। चरण सिंह के बेहोश होने के बाद सीमा और उसकी बहनों ने इस घिनौनी हरकत को अंजाम दिया।
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जोधपुर पुलिस ने इस युवक की सनसनीखेज हत्या का पदार्फाश किया, जिसके शरीर के अंग 12 अगस्त को शहर के एक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पास तैरते पाए गए थे। पुलिस ने हत्या के सिलसिले में सीमा, उसकी दो बहनों और उनके कॉमन फ्रेंड को गिरफ्तार किया था। दरअसल, स्थानीय लोगों ने ही ट्रीटमेंट प्लांट के पास अलग-अलग सीवरेज लाइनों में शरीर के कटे हुए हिस्सों को तैरते हुए देखा था। इसके बाद पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने टीमें गठित कर पूरे प्रदेश में लापता लोगों की जानकारी जुटाई।
जांच के दौरान, पुलिस ने पाया कि चरण सिंह चौधरी गायब था। पुलिस को घटनास्थल के पास से मृतक की बाइक भी मिली। पुलिस को पता चला कि दो लड़कियां आई थीं और बाइक को मौके पर ही छोड़ गई थीं। शक होने पर पुलिस ने आरोपी मृतक की पत्नी और उसकी भाभी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। जिससे पता चला कि इस जोड़े की शादी के बाद से ही अच्छे संबंध नहीं थे। आरोपियों ने घर के अंदर चरण सिंह की हत्या करने और उसके शरीर को टुकड़ों में काटकर सीवर में फेंकने की बात कबूल की। तत्कालीन डीसीपी धर्मेंद्र सिंह यादव ने बताया कि मृतक की पत्नी समलैंगिक थी और उसके किसी दूसरी महिला से संबंध थे।
एक अन्य मामले में 2005 में एक निधि ने अजमेर के किशनगढ़ में अपने प्रेमी की मदद से अपने पति भवानी सिंह का सिर कलम कर दिया था। अधिकारियों के अनुसार, जब उसका बॉयफ्रेंड मौजूद था, तब उसने अपने पति को अपने घर बुलाया। यहां उसने उसका सिर काट दिया और उसका सिर छत पर ले जाकर गैस बर्नर पर जला दिया। शेष हड्डियों को बाद में बनास नदी में फेंक दिया गया, जबकि उनके शरीर को देवली रोड पर फेंक दिया गया।
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पुलिस ने गहन छानबीन के बाद उसे और उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया। 2013 में सोडाला में नीरज सिंह की हत्या कर दी गई थी और उसका सिर रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया था। पूछताछ के बाद पुलिस ने उसके साले और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया। जब उससे पूछताछ की गई तो उसने कहा कि नीरज ने उसे आपत्तिजनक हालत में देखकर थप्पड़ मारा था।
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इसलिए उसने थप्पड़ का बदला लेने के लिए उसकी हत्या कर दी। जयपुर में मनोचिकित्सक आलोक त्रिपाठी ने कहा कि किसी को भी अपने परिवार के सदस्यों को अकेला महसूस नहीं होने देना चाहिए, चाहे कुछ भी हो जाए। उन्होंने कहा, श्रद्धा के माता-पिता ने उसे अपने हाल पर छोड़ दिया, जिससे आरोपी को उसे मारने की हिम्मत आई। लोगों को अपने प्रियजनों को अपने पास रखना चाहिए। ऐसे अपराध करने वाले लोग विकृत हैं, जो मानसिक रूप से बीमार हैं। वह प्यार की भाषा नहीं समझते हैं।
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