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दिल्ली छावला रेप-मर्डर केस : पुलिस वालों की लापरवाही से नहीं मिला न्याय!



NEW DELHI : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली छावला रेप मामले में सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए तीन आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि आरोपियों को निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिला था, ऐसे में उन्हें बरी करने का फैसला हुआ. ये मामला साल 2012 का है जब दिल्ली के चावला एरिया में एक 19 साल की लड़की का गैंग रेप किया गया था.

जिन तीन आरोपियों को उस मामले में गिरफ्तार किया गया था, उन पर किडनैपिंग, गैंग रेप और फिर लड़की की हत्या करने का आरोप लगा था. लड़की का शव भी तीन दिन बाद खराब हालत में मिला था. उस मामले में पहले तीनों ही आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी. लेकिन अब सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उन तीनों ही आरोपियों को बरी कर दिया.

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सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अभियोग पक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोप सिद्ध करने में फेल हुआ है. ये भी कहा गया है कि सुनवाई के दौरान अभियोग पक्ष ने 49 चश्मदीदों को एग्जामिन किया था, लेकिन उनमें से 10 चश्मदीदों को एक बार भी क्रॉस एग्जामिन नहीं किया गया. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया है कि जांच के दौरान ASI द्वारा मृतक के शरीर के जो बाल मिला था, वो काफी संदिग्ध है.


आदेश के दौरान कोर्ट ने इस बात का भी जिक्र किया कि लड़की का फील्ड में जो शव मिला था, वो सड़ा नहीं था. ये भी सवाल उठाया गया कि तीन दिनों तक शव फील्ड में पड़ा रहा, लेकिन किसी का भी उस पर ध्यान नहीं गया.



जानकारी के लिए बता दें कि 14 फरवरी 2012 को उत्तराखंड की 'निर्भया' अपने काम पर जाने के लिए घर से निकली थी. उस दिन वो देर शाम तक घर नहीं लौटी तो परिजन चिंतित हुए. घबराए परिजनों ने उसकी काफी तलाश की। लेकिन कोई सुराग नहीं लगा. बहुत खोजने के बाद इतनी सूचना जरूर मिली कि कुछ लोग एक लड़की को गाड़ी में डालकर दिल्ली से बाहर ले जाते हुए दिखाई दिए हैं.

इस मामले में दोषियों ने लड़की के साथ रेप के साथ उसे असहनीय यातना भी दी थी. लड़की को कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से पीटा गया, उसके शरीर को जगह जगह सिगरेट से दागा गया था और उसके चेहरे को तेजाब से जलाया गया था. इसके बाद अभियुक्त गिरफ्तार किए गए थे. दिल्ली की अदालत ने 19 साल की युवती से रेप और हत्या के दोषी ठहराए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई थी. इस फैसले को सही मनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा पर मुहर लगा दी थी. इसके बाद दोषियों की तरफ से सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गयी थी.



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