Ranchi: नक्सल हिंसा में मृत आम नागरिक के आश्रित को केंद्र से मिलने वाले अनुदान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संशोधित गाइडलाइंस जारी कर दिया है। जारी आदेश की कापी सभी राज्यों को भेजी गई है और उसी गाइडलाइंस के अनुसार अनुदान देने को कहा है।
संशोधित गाइडलाइंस एक अप्रैल 2022 से ही प्रभावी किया गया है। हालांकि, झारखंड में इस गाइडलाइंस को लागू करने में थोड़ी पेच है, जिसे सुलझाने के लिए पूरा मामला सरकार के स्तर पर विचाराधीन है. 70 प्रतिशत राशि तुरंत भुगतान करने का आदेश
नई संशोधित गाइडलाइंस में नक्सल हिंसा, आतंकी हिंसा, सांप्रदायिक हिंसा, क्रास बोर्डर फायरिंग व लैंड माइंस, आइइडी ब्लास्ट आदि में मृत आम नागरिक के आश्रित को एक अप्रैल 2008 से तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का प्रविधान किया गया था, जिसे 24 अगस्त 2016 के बाद से पांच लाख रुपये मुआवजा में देने का प्रविधान किया गया है।
उपरोक्त राशि का 70 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार को तुरंत भुगतान करना है और शेष 30 प्रतिशत राशि सत्यापन व आंतरिक आडिट विंग की रिपोर्ट के बाद दिया जाएगा। मृतक के आश्रितों को मिलने वाले मुआवजा का भुगतान सभी जिलों के उपायुक्तों के स्तर से होना है। उपायुक्त इससे संबंधित प्रस्ताव राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र को देंगे, जिसके बाद उक्त राशि का भुगतान होगा.
क्या है केंद्रीय गृह मंत्रालय का संशोधित प्रविधान एक अप्रैल 2008 से 23 अगस्त 2016 तक की घटना में मृतक के आश्रित को तीन लाख रुपये का मुआवजा। 24 अगस्त 2016 के बाद की घटना में मृतक के आश्रित को पांच लाख रुपये मुआवजा देने का प्रविधान किया गया है।
मुआवजे की 50 प्रतिशत राशि पीड़ित के आधार लिंक सेविंग बैंक खाते में जमा होगी और शेष 50 प्रतिशत राशि फिक्सड डिपोजित खाते में तीन साल की अवधि के लिए जमा होगी। केंद्र ने संशोधित गाइडलाइंस में यह भी बताया है कि राज्य सरकार पांच लाख रुपये के अलावा मृतक के आश्रित को नौकरी भी दे, जिसपर राज्य सरकार अभी सहमत नहीं है और मामला सरकार के स्तर पर विचाराधीन है.
राज्य में वर्तमान में क्या है प्रविधान घटना में मृतक के आश्रित को राज्य सरकार की ओर से एक लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है। इस राशि को दो लाख रुपये करने का मामला सरकार के स्तर पर विचाराधीन है। इसके अलावा केंद्र से तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का प्रविधान है। अब राज्य सरकार ने इसमें एक नियम यह भी जोड़ दिया है कि अगर पीड़ित तीन लाख रुपये लेगा तो एक आश्रित को नौकरी नहीं मिलेगी और अगर वह नौकरी लेगा तो उसे तीन लाख रुपये नहीं मिलेंगे.
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