राजभवन कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता
शुक्रवार तक राजभवन में जो गतिविधियां हुई थीं उसके अनुसार संभावना जताई जा रही थी कि शनिवार को हेमंत की सदस्यता रद करने का राज्यपाल का आदेश निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा और आयोग ही सदस्यता रद होने की अधिसूचना जारी करेगा। अब शनिवार को इसमें राजभवन से कोई कार्रवाई नहीं होने पर यह कयास लगाया जा रहा है कि राजभवन इसमें कोई जल्दीबाजी नहीं करना चाहता है। इधर एक-दो दिन लगातार अवकाश होने के कारण यह संभावना जताई जा रही है कि इसमें कुछ और समय लग सकता है। सभी की निगाहें राजभवन और आयोग के अधिकृत फैसले पर टिकी हैं। इसे लेकर चर्चा का बाजार भी गर्म है.
बाबूलाल ने हेमंत को बताया आदिवासी का मतलब
उधर, चुनाव आयोग से मिले अनुशंसा और राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री सदस्यता पर सस्पेंस के बीच हेमंत सोरेन के आदिवासी कार्ड पर भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने शनिवार को कमान संभाली। गिरिडीह में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में भाग ले रहे बाबूलाल मरांडी ने एक के बाद एक पांच ट्वीट किए जिसमें सबसे पहले कहा कि हम भी आदिवासी हैं लेकिन लुटेरे नहीं हैं। मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोपों पर बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट करते हुए झारखंड को लूट का चारागाह बनाने वाला बता दिया। मुख्यमंत्री के आदिवासी होने से डीएनए में डर नहीं होने वाले बयान पर भी बाबूलाल ने कटाक्ष किया.
अब बाबूलाल मरांडी को आगे कर रही पार्टी
तीन दिनों से जारी अनिश्चितता के बीच भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासी मुद्दे पर संभलकर चलने का फैसला किया है। बाबूलाल मरांडी के कद को देखते हुए उन्हें ही आगे कर पार्टी हेमंत सोरेन को जवाब देने में लगी है। भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस मामले प्रदेश नेतृत्व को मरांडी को आगे रखने की सलाह दी है। राज्यपाल के निर्णय के बाद अगर झारखंड की सरकार में कोई बड़ा फेरबदल नहीं होता है तो पार्टी संगठन की कमान भी बाबूलाल मरांडी को सौंपी जा सकती है। हालांकि प्रदेश के नेता मान रहे हैं कि चुनाव आयोग और राज्यपाल के निर्णय के बाद राज्य में हेमंत सोरेन का सरकार में बने रहना मुश्किल है.
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