Ranchi: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित खनन लीज मामले में संलिप्तता को लेकर चुनाव आयोग अगले 10 से 15 दिनों में अपना फैसला सुना सकता है. सूत्रों के मुताबिक अगर हेमंत सोरेन के खिलाफ आरोप सही पाए जाते हैं तो उनको मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ सकती है. दरअसल, भाजपा ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज की है कि मुख्यमंत्री रहते सरकारी खनन का ठेका लेने पर हेमंत सोरेन अयोग्य हो गए हैं. हेमंत सोरेन के खनन लीज मामले में इस शिकायत पर चुनाव आयोग में सुनवाई पूरी हो चुकी है.
इससे पहले चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई की थी. निर्वाचन आयोग की तरफ से सीएम हेमंत सोरेन के अधिवक्ता से लिखित सबमिशन मांगा गया था. वरीय अधिवक्ता मिनाक्षी अरोड़ा ने निर्वाचन आयोग के समक्ष दो घंटे तक अपने मुवक्किल सीएम हेमंत सोरेन की तरफ से बहस की थी. उन्होंने कहा था कि हेमंत सोरेन के नाम से रांची के अनगड़ा में आवंटित स्टोन माइंस का मामला लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 के 9 ए के दायरे में नहीं आता है.
क्या है मामला
मुख्यमंत्री के भाई और दुमका से झामुमो विधायक बसंत सोरेन से जुड़ा मामला भी चुनाव आयोग के समक्ष है. हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के नाम पर पत्थर खदान लीज की शिकायत झारखंड बीजेपी नेताओं ने चुनाव आयोग से की थी. झारखंड प्रदेश भाजपा की तरफ से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए के तहत मुख्यमंत्री को विधायकी से अयोग्य ठहराने के लिये राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया था. फिलहाल यह पूरा मामला चुनाव आयोग के समक्ष है.
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