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Hemant Soren Disqualified: पत्थर खदान लीज मामले में राज्यपाल से की शिकायत बनी CM हेमंत सरकार के गले की फांस



रांची के अनगड़ा में पत्थर खदान लीज मामले में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ राज्यपाल से की गयी शिकायत राज्य सरकार के गले की फांस बन गयी है. इस मामले में चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस भेज कर उनका भी पक्ष लिया. वहीं, मुख्य सचिव से कुल 600 पन्ने की रिपोर्ट लिया.

Hemant Soren Disqualified: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा अपने नाम पर पत्थर खदान का लीज लेने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से की गयी शिकायत राज्य सरकार के गले की फांस बन गयी है. शिकायतकर्ता भाजपा नेता रघुवर दास, बाबूलाल मरांडी और आरटीआई कार्यकर्ता सुनील महतो थे. शिकायती पत्रों में कहा गया था कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए पत्थर खदान लीज पर ली है. रांची जिले के अनगड़ा प्रखंड के खाता नंबर 187, प्लॉट नंबर 482 के 0.88 एकड़ क्षेत्रफल पर यह खनन पट्टा स्वीकृत किया गया है.

16 जून, 2021 को खनन पट्टा स्वीकृत


कहा गया है कि श्री सोरेन इस खनन पट्टा के लिए 2008 से ही प्रयासरत थे. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद 16 जून 2021 को खनन पट्टा स्वीकृत करने की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की. 10 जुलाई, 2021 को जिला खनन कार्यालय ने खनन योजना की स्वीकृति दी. नौ सितंबर को स्टेट लेवल एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी को हेमंत सोरेन ने आवेदन भेजा. जिसे 14 से 18 सितंबर 2021 को संपन्न अथॉरिटी की 90वीं बैठक में पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा कर दी. खनन पट्टा आवंटन मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत आपराधिक कृत्य बताते हुए इसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए कार्रवाई की मांग की गयी. हालांकि, बाद में मुख्यमंत्री ने खनन पट्टा सरेंडर कर दिया.


राज्यपाल ने 12 फरवरी को चुनाव आयोग के पास भेजा था शिकायती पत्र


राज्यपाल ने 12 फरवरी को शिकायती पत्र को चुनाव आयोग के पास भेज दिया. पूछा कि मुख्यमंत्री द्वारा ली गयी लीज का मामला ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के दायरे में आता है या नहीं. ‘जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951’ की धारा 9-ए में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में आनेवाले किसी सदन के सदस्य की सदस्यता समाप्त करने का प्रावधान है. राज्यपाल का पत्र मिलने के बाद चुनाव आयुक्त ने सरकार से शिकायती पत्र में वर्णित तथ्यों के सही होने की जांच की. हेमंत सोरेन द्वारा खनन पट्टे के लिए किये गये आवेदन और उसकी स्वीकृति में लगे समय की जानकारी ली. सुनवाई पूरी करने अब चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री रहते हुए खनन पट्टा स्वीकृत करने का मामला ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के दायरे में होने की जानकारी दी है. बताया है कि खनन पट्टा सरेंडर करने के बावजूद यह मामला ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के अंदर है.


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